सतना। नैसर्गिक रूप से समृद्ध कैमूर तथा विंध्य की पर्वत श्रेणियों की गोद में अठखेलियां करती तमसा के तट पर त्रिकूट पर्वत की पर्वत मालाओं के बी...
सतना। नैसर्गिक रूप से समृद्ध कैमूर तथा विंध्य की पर्वत श्रेणियों की गोद में अठखेलियां करती तमसा के तट पर त्रिकूट पर्वत की पर्वत मालाओं के बीच मां का यह दरबार स्थित है। करीब 1063 सीढ़ियां चढ़कर या रोप-वे के माध्यम से भक्त मंदिर तक पहुंच सकते हैं। यह मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है। यह पीठ नृसिंह भगवान के नाम पर नरसिंह पीठ के नाम से भी जाना जाता है। मां शारदा के बाजू में प्रतिष्ठापित नरसिंहदेव की पाषाण मूर्ति आज करीब 1500 वर्ष पूर्व की बताई जाती है। यहां रोजाना हजारों लोग आते हैं तो दोनों नवरात्र लगने वाले मेले में लाखों लोग आते हैं। सागर सहित समूचे बुंदेलखंड के लोगों के लिए मां का यह विशेष आस्था केंद्र है।
मां शारदा मंदिर के कपाट रात 2 से 5 बजे के बीच बंद रहते हैं। ऐसी मान्यता और किवदंती है कि इसी समय रोज आल्हा और ऊदल मां की पूजा के लिए आते हैं। वे ही माता रानी का श्रृंगार करते हैं और पहले दर्शन वे भी ही करते हैं। इसके बाद ही मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोले जाते हैं। पर्वत की तलहटी में आल्हा का तालाब व अखाड़ा अब भी यहां संरक्षित है।
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