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पूर्व मंत्री की पोती-बहू हत्याकांड: पड़ोसियों ने 3 लोगों को घर में घुसते देखा

रायपुर। खम्हारडीह में नेहा और उसकी 9 साल की बच्ची की लाशें मिलने के ढाई घंटे पहले शाम 7 बजे पड़ोसियों ने तीन लोगों को उनके घर में घुसते देखा ...


रायपुर। खम्हारडीह में नेहा और उसकी 9 साल की बच्ची की लाशें मिलने के ढाई घंटे पहले शाम 7 बजे पड़ोसियों ने तीन लोगों को उनके घर में घुसते देखा गया। करीब आधे घंटे बाद केवल एक युवक बाहर आता दिखा। उसके बाद घर में हलचल बंद हो गई। मां-बेटी के शव मिलने के साथ मृतका का नंदोई और उसका साथी मिलने के बावजूद पुलिस हत्याकांड को लेकर उलझ गई है। हिरासत में पूछताछ के दौरान मृतका के नंदोई आनंद राय और उसका साथी हत्या कबूल नहीं कर रहे हैं। नंदोई का कहना है उसके छोटे भाई ने उन्हें फंसाने के लिए बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। पुलिस परिवार के बीच कातिल की तलाश कर रही है। मृतका के नंदोई डॉ. आनंद राय और उसके साथी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी गई है। तीसरे संदेही का नाम अजय राय बताया जा रहा है। वह डॉ. आनंद का भाई है। वह लाश मिलने के बाद से गायब है। उसका मोबाइल भी बंद है। पुलिस को शक है कि इसमें कुछ और लोग भी शामिल हो सकते हैं। पूरा विवाद पैसा, प्रॉपर्टी या पारिवारिक हो सकता है। पुलिस तीनों बिंदुओं पर जांच कर रही है। पुलिस ने पति तरुण को भी संदेह के घेरे में रखा है। उसका कॉल डिटेल निकाला जा रहा है। सबसे पहले मृतका की बहन मेघा मनहरे घर पहुंची थी। मेघा रायपुर में रहकर पढ़ाई करती है। वह नेहा के पड़ोस में किराए के कमरे में रहती है। मेघा शनिवार शाम 6.30 बजे तक नेहा के साथ घर पर थी। फिर वह अपने रूम चली गई। क्योंकि 7 बजे नेहा खरोरा मायके जाने वाली थी। नेहा का भाई खरोरा जनपद में पदाधिकारी है। शाम 7.30 बजे नेहा का छोटा भाई आकाश लेने के लिए आया था। मकान में ताला लगा हुआ देखा तो उसने वहीं से नेहा को फोन किया। फोन बंद मिला तो उसने मेघा को फोन लगाया। उसने मेघा को बताया कि नेहा का फोन बंद है। फिर वहां से चला गया। उसके बाद मेघा लगातार नेहा का फोन लगाती रही। जब फोन बंद ही मिला तो उसने परिजनों को सूचना दी। वहीं आसपास में रहने वाले रिश्तेदारों को फोन लगाकर बुलाया। सभी ने नेहा को फोन लगाने का प्रयास किया। जब दो घंटे बाद फोन चालू नहीं हुआ तो 9 बजे मेघा अन्य रिश्तेदारों के साथ वहां आई। मकान में ताला लगा देखकर उसे शक हुआ। आसपास वालों की मदद से ताला तोड़कर भीतर गई। मेघा और बाकी रिश्तेदार बंद मकान में डॉ. आनंद और उसके साथी दीपक सतोरे को देखकर चौंक गए। दोनों दूसरे कमरे में छिपे थे। दोनों किसी से कोई बात नहीं कर रहे थे। जब मेघा ने उनसे नेहा के बारे में पूछा तो वे अनजान बनने लगे। उन्होंने पहले कहा कि उन्हें नहीं पता नेहा कहां है। उन्हें अजय बंद करके भाग गया है। फिर उन्होंने कहा कि नेहा शायद बेडरूम में हो सकती है। फिर वे लोग बेडरूम गए और इधर-उधर उनकी तलाश की। उन्हें कहीं भी नेहा और उसकी बेटी नहीं दिखी। तभी एक संदेही ने कहा कि बिस्तर बिखरा हुआ है। उसे हटाकर देखो। जब बिस्तर हटाकर दीवान खोला गया तो उसमें महिला और बच्ची की लाशें ठूंसकर रखी गईं थीं।
मौत के पहले किया संघर्ष
मृतका के शरीर पर चोट के निशान हैं। हाथ-पांव में रगड़ है। एक हिस्से में खून निकला है। पुलिस अफसरों का मानना है कि हत्या के पहले मृतका ने बचने के लिए संघर्ष किया होगा। उसी दौरान उसके शरीर पर चोट के निशान आए होंगे। हालांकि आस-पास रहने वाले किसी भी पड़ोसी ने चीखने चिल्लाने की आवाज नहीं सुनी। पुलिस अधिकारियों के अनुसार हत्यारे ने जब जूते की लेस से उसका गला घोटा तब उसने बचने के लिए संघर्ष किया होगा। नेहा के पति रात करीब पौने 11 बजे घर पहुंचे। मकान के बाहर भीड़ देखकर वे हैरान रह गए। घर में एंट्री करते ही उन्होंने पुलिस वालों से सवाल किया। मेरी बच्ची ठीक हैं? महिला थानेदार ने जवाब दिया- हां सब ठीक हैं। उन्हें बाहर हॉल में ही बिठा लिया गया और उनसे पूछताछ शुरू कर दी गई। तरुण ने बताया कि मुझे भरत तिवारी का फोन आया। मैं उनसे हर महीने 25 हजार लेता हूं। वे मेरी पत्नी को पैसे देते हैं। भरत तिवारी ने मुझे बताया कि मेरी पत्नी का फोन स्विच आॅफ बता रहा है। मैं हड़बड़ा गया। मैंने अपने पड़ोस में रहने वाले ललित को कॉल किया। उनसे कहा कि वे घर जाकर देखें कि नेहा कहां है? मुझे ललित ने बताया कि उन्होंने भी फोन लगाया, फोन स्विच आॅफ बता रहा है। उन्होंने ये भी बताया कि घर पर ताला लगा है। उसके बाद मैं घबरा गया। तरुण पूर्व जिला पंचायत सदस्य और कांग्रेसी नेता है।
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