नई दिल्ली । कहते हैं समय किसी के लिए नहीं रूकता और तेजी से बढ़ता जाता है. बात अगर बीते साल की करें तो समय काफी तेजी से बीत है. खबरों की माने...
नई दिल्ली । कहते हैं समय किसी के लिए नहीं रूकता और तेजी से बढ़ता जाता है. बात अगर बीते साल की करें तो समय काफी तेजी से बीत है. खबरों की मानें तो बीते साल कई दिन ऐसा हुआ है जब पृथ्वी अपने समय से तेजी से घूमी है. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, पिछली आधी सदी के किसी भी समय की तुलना में साल 2020 में समय तेजी से गुजर है.
19 जुलाई से पहले साल 2005 में आखिरी बार ऐसा हुआ था. लेकिन साल 2020 में 28 बार धरती ने 86,400 सेकेंड के पूरा होने से पहले ही अपना चक्कर पूरा किया था.
समय का हिसाब रखने वाले शोधकर्ताओं की मानें तो धरती अब औसतन 0.5 सेकेंड जल्दी ही अपनी धूरी पर अपना चक्कर पूरा कर लेती है. समय की यह कमी हमें दिखाई नहीं देती है, लेकिन इसके प्रभाव व्यापक हो सकते हैं. हमारे उपग्रह और संचार उपकरण सोलर टाइम के हिसाब से सेट किए जाते हैं, जो सितारों, चंद्रमा और सूर्य की सही स्थान के आधार पर निर्धारित होते हैं.
इस सामंजस्य को बनाए रखने के लिए पेरिस स्थित इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन सर्विस के समयपालों ने पहले कई बार 'लीप सेकंड्स' को एक दिन में जोड़ा है. शोधकर्ताओं का मानना है कि धरती पर रह रहे लोगों को समय के साथ सामंजस्य बनाए रखने के लिए इस अतिरिक्त समय को हटाना पड़े.
ऐसे में सवाल होता है कि आखिर ऐसा होता क्यों हैं. इस सवाल का एकदम सटीक जवाब तो किसी को नहीं पता. लेकिन, 2015 के एक अध्ययन में कहा गया है कि पृथ्वी के घूमने में यह बदलाव ग्लोबल वार्मिंग के कारण हो सकता है. साइंस एडवांस में प्रकाशित एक शोध में दावा किया गया था कि ग्लेशियरों का पिघलना आंशिक रूप से पृथ्वी की धुरी पर तेजी से घूमने के लिए जिम्मेदार है।
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