नई दिल्ली। दुनियाभर के क्राइम इतिहास में ऐसे कई सीरियल किलर्स के नाम दर्ज हैं, जिन्होंने अपनी सिलसिलेवार हत्याओं की वजह से लोगों के मन खौफ प...
नई दिल्ली। दुनियाभर के क्राइम इतिहास में ऐसे कई सीरियल किलर्स के नाम दर्ज हैं, जिन्होंने अपनी सिलसिलेवार हत्याओं की वजह से लोगों के मन खौफ पैदा किया है। सीरियल किलर एक ऐसा डरावना शब्द है, जिसका नाम सुनते ही लोगों की कंपकंपी छूट जाती है। सालों पहले एक ऐसा ही सीरियल किलर भारत में भी मौजूद था, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने हत्या करने का वल्र्ड रिकॉर्ड बनाया था।
इस सीरियल किलर का नाम है ठग बेहराम। बेहराम को किंग ऑफ ठग भी कहा जाता है। 1790 से लेकर 1840 के बीच में कुख्यात रहे ठग बेहराम से अंग्रेज भी घबराते थे। क्योंकि वह लूट के इरादे से लोगों को अपना शिकार बनाता था और बेहद ही अनोखे तरीके से शिकार का गला घोंटकर उनकी हत्या कर देता था। ऐसा कहा जाता है कि बेहराम एक बार जिस रास्ते से गुजरता था, वहां लाशों की ढेर लग जाती थी। उसका एक बड़ा गिरोह होता था, जो व्यापारियों और पर्यटकों के बीच भेष बदलकर उनके साथ लग जाता था और मौका देख कर लोगों की हत्याएं कर देता था और फिर उनका सारा सामान लूट लेता था। एक अंग्रेज जेम्स पैटोन के मुताबिक, बेहराम ने अपनी पूरी जिंदगी में 931 लोगों को मौत के घाट उतारा था और उसने इन हत्याओं का जुर्म भी कबूल किया था। बेहराम अपने साथ एक रुमाल रखता था और उसी रुमाल से गला घोंटकर उसने 900 से अधिक लोगों की हत्या की थी। ठग बेहराम के बारे में कहा जाता है कि उसके जुर्म के लिए उसका नाम गिनीज बुक में भी दर्ज है। बेहराम के खौफ से दिल्ली से लेकर ग्वालियर और जबलपुर तक व्यापारियों, पर्यटकों, सैनिकों और तीर्थयात्रियों ने रास्ता चलना ही बंद कर दिया था। क्योंकि उनका पूरा का पूरा काफिला ही रहस्यमय तरीके से रास्ते से गायब हो जाता था। हैरानी की बात तो ये थी कि उनकी लाशें तक पुलिस को नहीं मिलती थीं। साल 1809 में एक अंग्रेज अफसर कैप्टन स्लीमैन को ये जिम्मेदारी सौंपी गई कि वो गायब हो रहे लोगों के रहस्य का पता लगाएं। बाद में उन्होंने अपनी जांच में इस बात का खुलासा किया था कि ठग बेहराम का गिरोह ही लोगों की हत्याएं करता था और उनकी लाश तक गायब कर देता था। कैप्टन स्लीमैन के मुताबिक, बेहराम के गिरोह में करीब 200 ठग और हत्यारे थे। कैप्टन स्लीमैन ने कई सालों तक बेहराम की तलाश की और आखिरकार 10 साल बाद उन्हें सफलता मिली। बेहराम को गिरफ्तार कर लिया गया। उस समय उसकी उम्र करीब 75 साल थी। बेहराम को उसके जुर्म के लिए वर्ष 1840 में फांसी की सजा दे दी गई।
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