अबेर न्यूज। कौटिल्य नाम से विख्यात आचार्य चाणक्य की नीतियां आज कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। उनके द्वारा लिखे गये नीति ग्रंथ को आज ...
अबेर न्यूज। कौटिल्य नाम से विख्यात आचार्य चाणक्य की नीतियां आज कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। उनके द्वारा लिखे गये नीति ग्रंथ को आज भी काफी लोगों द्वारा पढ़ा जाता है। चाणक्य ने अपने बुद्धि कौशल और अनुभवों से इस ग्रंथ को लिखा। उन्होंने अपनी नीतियों के बल पर नंदवंश का नाश कर मौर्यवंश की स्थापना की। ऐसा कहा जाता है कि नंदवंश के राजा धनानंद ने उनका एक बार अपमान किया था लेकिन उन्होंने अपने क्रोध को जाहिर न करके उसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जिससे चाणक्य ने अपने शत्रुओं का समूल नाश कर दिया। यहां जानिए, क्या कहती है चाणक्य नीति अगर आपका करे कोई अपमान
चाणक्य नीति कहती है कि शत्रु का सबसे घातक हथियार होता है उकसाना। शत्रु हमेशा ऐसा प्रयास करता है कि आपको उकसाया जाए जिससे आपको क्रोध आए। क्रोध में शक्ति और विवेक आधी हो जाती और शत्रु आपकी कमजोरी का फायदा उठाता है। इसलिए शत्रु जब भी आपको उकसाने का प्रयास करे तो कछुए की भांति क्रोध को अपने अंदर समेटकर रख लो और फिर अपनी पूरी तैयारी के साथ वार करो। लेकिन ये भी ध्यान में रखें कि शत्रु को कभी क्षमा नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से शत्रु का मनोबल बढ़ता है।
चाणक्य कहते हैं कि जब भी कोई आपका अपमान करे तो उस समय मौन रहें और उस इंसान की तरफ देखकर थोड़ा मुस्करा दें। ऐसा करने से अपमान करने वाला व्यक्ति खुद को ही अपमानित महसूस करने लगेगा। चाणक्य की नीति कहती है कि अपने शत्रु से कभी घृणा मत करो। शत्रु से घृणा करने पर आप उसके बारे में सोचने-समझने की शक्ति खो देते हैं जिस कारण आप उसकी केवल कमजोरी ही देख पाते हैं ताकत नहीं। इसलिए शत्रु को एक मित्र की तरह देखें और उसकी हर छोटी बड़ी बातों की खबर रखें ताकि युद्ध के हालात में शत्रु के बचकर निकलने की कोई राह ना हो।
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