नई दिल्ली। जब भी महाभारत का जिक्र होता है उनमें एक दुर्योधन के मामा और गांधारी के भाई शकुनी का नाम जरूर आता है. शकुनी के बारे में कहा जाता ...
नई दिल्ली। जब भी महाभारत का जिक्र होता है उनमें एक दुर्योधन के मामा और गांधारी के भाई शकुनी का नाम जरूर आता है. शकुनी के बारे में कहा जाता है कि दुर्योधन के मन में पांडवों के प्रति नफरत का बीज उन्होंने ही बोया था. जुए का ऐसा खेल खेला था कि कौरव और पांडव महाभारत के महायुद्ध के लिए तैयार हो गए . जिसके बाद कुरु वंश का नाश हो गया।
एक धार्मिक कथा के मुताबिक शकुनी नहीं चाहता था कि उसकी बहन गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से हो. भीष्म पितामह के दबाव में गांधारी को धृतराष्ट्र से विवाह करना पड़ा इसलिए वो बदले की भावना से हस्तिनापुर आकर रहने लगा और षड्यंत्र रचने लगा।
एक बार भीष्म पितामह ने शकुनी के पूरे परिवार को बंदीगृह में डाल दिया.बंदी गृह में सभी को इतना ही खाना दिया जाता था कि धीरे धीरे वो तड़प तड़प के मर जाएं।
भूख के कारण जब शकुनी के सभी भाई आपस में खाने के लिए लड़ने लगे तब इनके पिता ने यह तय किया कि अब से सारा खाना एक ही आदमी खाएगा. उन्होंने कहा कि हम सभी अपनी जान देकर एक आदमी की जान बचाएंगे जो हमारे साथ हुए अन्याय का बदला ले सके. इसलिए तय किया गया कि जो सबसे ज्यादा चतुर और बुद्धिमान होगा वही खाएगा।
शकुनी सबसे छोटे लेकिन चतुर और बुद्धिमान थे इसलिए सारा खाना शकुनी को मिलने गला. शकुनी अपने परिवार के साथ हुए अत्याचार को भूल ना जाएं इसलिए उनके परिवार ने उनके पैर तोड़ दिए जिससे शकुनी लंगडा के चलते थे।
शकुनी के पिता जब बंदी गृह में मरने लगे तब उन्होंने शकुनी की चौसर में रुचि को देखते हुए शकुनी से कहा कि मेरे मरने के बाद मेरी उंगलियों से पासे बना लेना. इनमें मेरा आक्रोश भरा होगा जिससे चौसर के खेल में तुम्हें कोई हरा नहीं पाएगा. इसी के चलते शकुनी हर बार चौसर के खेल में जीत जाते थे. वो पांडवों को इस खेल में हराने में सफल हुए।
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