रायपुर। जन्मकुंडली में शुभ और अशुभ दोनों ही तरह के योग होते हैं. कहा जाता है कि यदि शुभ योगों की संख्या ज्यादा होती है तो ये साधारण परिस्थित...
रायपुर। जन्मकुंडली में शुभ और अशुभ दोनों ही तरह के योग होते हैं. कहा जाता है कि यदि शुभ योगों की संख्या ज्यादा होती है तो ये साधारण परिस्थितियों में जन्म लेने वाला व्यक्ति भी धनी, सुखी और पराक्रमी बनता है, लेकिन यदि अशुभ योग ज्यादा प्रबल हैं तो व्यक्ति लाख प्रयासों के बाद भी हमेशा संकटग्रस्त ही रहता है.
जिसके चलते जन्मकुंडली में शुभ और अशुभ दोनों योग के माध्यम से व्यक्ति के भाग्य का विश्लेषण किया जा सकता है. कुंडली में ग्रहों की युति या उनकी स्थितियों से योगों का निर्माण होता है. ये योग शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के होते हैं. ज्योतिष के मुताबिक योग शुभ होते हैं उनसे जातकों को अच्छे फल प्राप्त होते हैं.
इन्हें राज योग कहते हैं. वहीं इसके विपरीत जो योग अशुभ होते हैं, उनके कारण व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह की परेशानियां आती हैं. आज हम आपको कुंडली में बनने वाले ऐसे योग के बारे में बताएंगे जो व्यक्ति के लिए परेशानी का कारण बनते हैं.
ग्रहण योग- कुंडली में किसी भी भाव में चंद्र के साथ राहु या केतु बैठे हों तो ग्रहण योग बनता है. यदि इस ग्रह स्थिति में सूर्य भी जुड़ जाए तो व्यक्ति की मानसिक स्थिति अत्यंत खराब रहती है. यानि उसका मस्तिष्क स्थिर नहीं रहता. उसके द्वारा किए गए कार्य में बार बार बदलाव होता है. कई बार को ऐसे व्यक्ति को पागलपन के दौरे तक पड़ जाते हैं.
इससे बचने के लिए सूर्य और चंद्र की आराधना करनी चाहिए जिससे लाभ मिलता है. इसी के साथ आदित्यह्मदय स्तोत्र का नियमित पाठ करें. सूर्य को रोजाना जल चढ़ाएं.
चांडाल योग-
किसी भी व्यक्ति की कुंडली में गुरु बृहस्पति के साथ राहु बैठा हो तो, दोनों की युति से कुंडली में चांडाल योग बनता है. जिससे व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसका प्रभाव शिक्षा और पैसों पर भी पड़ता है.
इस प्रभाव से बचने के लिए गुरुवार को पीली दालों का दान किसी जरूरतमंद को करें. इस योग की शांति के लिए गुरु बृहस्पति की शांति के उपाय करने चाहिए. गणेश जी को पीली चीजों का भोग लगाएं. हो सके तो गुरुवार को व्रत करें.
षडयंत्र योग- जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है उसकी धन-संपत्ति नष्ट होने की आशंका रहती है. ये योग बेहद खराब माना जाता है. जिसकी कुंडली में ये योग होता है वो व्यक्ति किसी षडयंत्र का शिकार होता है. जिससे ये भारी मुसीबत से घिर सकते हैं.
इससे बचने के लिए सोमवार के दिन शिवलिंग पर सफेद आंकडे का पुष्प और सात बिल्व पत्र चढ़ाएं. शिवजी को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
भाव नाश योग-जन्मकुंडली में जब किसी भाव का स्वामी त्रिक स्थान यानी छठे, आठवें और 12वें भाव में बैठा हो तो उस भाव के सारे प्रभाव नष्ट हो जाते हैं.
जिस ग्रह को लेकर भावनाशक योग बन रहा है, उससे संबंधित वार को हनुमान जी की पूजा करें. इसके अलावा किसी जानकार की सलाह पर ही उस ग्रह से संबधित रत्न धारण करके भाव का प्रभाव बढ़ाया जा सकता है।
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