जगदलपुर। वन उत्पाद आदिवासी संस्कृति में आजीविका का प्रमुख साधन हैं। इन वन उत्पादों के बेहतर मार्केटिंग, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और विक्रय केंद्र...
जगदलपुर। वन उत्पाद आदिवासी संस्कृति में आजीविका का प्रमुख साधन हैं। इन वन उत्पादों के बेहतर मार्केटिंग, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और विक्रय केंद्रों का विकास पर जोर दिए जाने की आवश्यकता है। उक्त बातें ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्णा ने जिला कार्यालय के प्रेरणा सभाकक्ष में वनोपज आधारित विकास हेतु संभाग स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए कही। ट्राइफेड एवं छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के तत्वाधान में आयोजित इस बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध निदेशक संजय शुक्ला, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री बी. आंनद बाबू, संभाग आयुक्त जी.आर. चुरेंद्र, मुख्य वन संरक्षक मोहम्मद शाहिद और अभय कुमार श्रीवास्तव सहित बस्तर, कोण्डागांव कलेक्टर सहित संभाग के सभी जिलों के जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, वनमंडलाधिकारी एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
संभाग के अधिकारियों ने आपसी समन्वय और टीम भावना के साथ कार्य किया
श्री कृष्णा ने कहा कि वन उत्पादों के उपार्जन और प्रसंस्करण के लिए बस्तर संभाग के अधिकारियों ने आपसी समन्वय और टीम भावना के साथ कार्य किया है। जिसके कारण क्षेत्र के वन संग्राहकों को आर्थिक लाभ मिला है। बस्तर संभाग में वन संसाधन, वन उत्पाद की प्रचुरता के साथ-साथ 44 प्रतिशत वन क्षेत्र को बचाने के लिए 32 प्रतिशत आदिवासी इन जंगलों में निवास करते है। प्रबंध निदेशक श्री कृष्णा ने कहा कि वर्तमान समय में वनधन केंद्र को डिजिटल सिस्टम से जोड़ते हुए एकीकृत कंट्रोल सिस्टम बनाने पर जोर देते हुए कहा कि वनधन समितियों को भी आर्थिक रूप से मजबूत किया जाना जरूरी है। साथ ही वनधन केंद्रों के अधोसंरचना विकास और वन उत्पाद के लिए उद्योगों को विकसित करने की आवश्यकता बताई। बस्तर संभाग के स्थानीय कलाकृति को प्रदर्शित करने वाले हैण्डीक्राफ्ट और हैण्डलूम से संबंधित शिल्पकारों को मार्केट से जोड़ने का काम ट्राइफेड के द्वारा किया जा रहा है। इसके लिए जिला स्तर पर शिल्पकारों का चिन्हांकन करने की आवश्यकता है, ताकि शिल्पकारों को विश्व स्तरीय मार्केट से जोड़ा जा सके। इससे शिल्पकारों को आर्थिक लाभ के साथ ही सम्मान भी प्राप्त होगा।
छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज संग्रह का 75 प्रतिशत हिस्सा बस्तर संभाग से
छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध निदेशक संजय शुक्ला ने बस्तर संभाग के वनोपज संग्रह की सराहना करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज संग्रह का 75 प्रतिशत हिस्सा बस्तर संभाग से हुआ। सभी संग्रहण केंद्रों में वन उत्पाद को न्यूनतम समर्थन मूल्य की दर से खरीदी की गई है। राज्य सरकार 73 वन उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की दर से खरीदी कर रही है। बैठक में मुख्य वन संरक्षक मोहम्मद शाहिद ने बताया कि जगदलपुर वन मंडल में बस्तर, सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले आते है जिसमें वनोपज संग्रह हेतु 24 वनधन केंद्र, 108 हाट-बाजार, 375 ग्राम स्तर के समूह द्वारा वनधन खरीदी की जाती है। जिसमें 6679 हितग्राहियों द्वारा एक लाख दो हजार क्विंटल वनोपज संग्रहित किया। संग्राहकों को 28 करोड़ से अधिक राशि का भुगतान किया गया। आगामी वर्ष के लिए दो लाख क्विंटल का लक्ष्य रखा गया। बैठक में सभी जिला के अधिकारियों से वनोपज संग्रह के विकास, स्थानीय आदिवासियों को आर्थिक लाभ दिलाने और वनोपज के प्रोसेसिंग यूनिट स्थापना के संबंध में आवश्यक चर्चा किया गया और ट्राइफेड के माध्यम से वनोपज को बेहतर मार्केट उपलब्ध कराने के संबंध में विस्तृत चर्चा की गई।
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