कांकेर। क्षेत्र में लाल ईंटों के निर्माण के अवैध धंधे बहुत अधिक चल रहे हैं ,जिनमें से कांकेर तथा आसपास लाल ईंटों के बहुत सारे भट्टे दिन रात ...
कांकेर। क्षेत्र में लाल ईंटों के निर्माण के अवैध धंधे बहुत अधिक चल रहे हैं ,जिनमें से कांकेर तथा आसपास लाल ईंटों के बहुत सारे भट्टे दिन रात चालू रहैं। कई बार समाचार प्रकाशित हो चुके हैं, किंतु खनिज विभाग तथा स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के कारण कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है और लाल ईंट वाले अवैध निर्माता लाखों का धंधा कर रहे हैं जबकि लोन लेकर काली ईटें बनाने वाले रो रहे हैं । उनके धंधे का बट्टा बैठ गया है। कांकेर क्षेत्र की यह बीमारी अब चारामा क्षेत्र में भी जा पहुंची है और वहां तो यह धंधा इतना फल फूल रहा है। जहां कांकेर वाले लाखों में धंधा कर रहे हैं वहीं चारामा वाले करोड़ों का धंधा कर चुके हैं। बताया जाता है कि चारामा में कांकेर से कहीं अधिक कई गुना लाल ईंटों का उत्पादन चालू है और खपत भी धड़ल्ले से हो रही है। यहां इन अवैध भट्टों के मालिकों के बारे में गुप्त रूप से पता लगाने पर मालूम होता है कि यह नेता लोग हैं जिनका संबंध सत्तारूढ़ पार्टियों से रहता है और इनकी रसूखदारी के कारण खनिज विभाग हो या पुलिस विभाग या वन विभाग कोई भी इन पर हाथ डालने से बहुत घबराता है । कानून कायदों को ताक में रखकर ईंटों के ठेकेदार मालिक वगैरह निडर होकर भट्टे लगवा रहे हैं। क्षेत्रीय जनता तो मानती ही नहीं सरकारी अधिकारी भी अपने भवनों को लाल ईंटों से बनवा चुके जिसकी कोई जांच नहीं कोई रिपोर्ट नहीं इन सब से पूछा जाना चाहिए कि आपने सुप्रीम कोर्ट तथा पर्यावरण विभाग केंद्र सरकार के कानून को कैसे ठेंगा दिखाया और अब परिणाम भुगतने को तैयार हैं अथवा नहीं..?
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