पटना। राजनीतिक जनकार बताते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार में देरी की बड़ी वजह राजनीतिक हालात में बदलाव हैं. इस बार के चुनाव में बीजेपी को जेडी...
पटना। राजनीतिक जनकार बताते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार में देरी की बड़ी वजह राजनीतिक हालात में बदलाव हैं. इस बार के चुनाव में बीजेपी को जेडीयू से ज्यादा सीटें आई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमारके नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार का एक-दो दिनों में ही मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है. इसके लिए मंथन का दौर लगभग खत्म हो चुका है. सूत्रों से खबर आ रही है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने कोटे के ऐसे विधायकों-नेताओं के नाम फाइनल कर लिए हैं जो मंत्री बनाए जा सकते हैं. खबर यह भी आ रही है कि भाजपा बुधवार शाम तक सीएम नीतीश को अपने कोटे के नए मंत्रियों के नामों की सूची सौंप सकती है। मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा इस बार सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण को साधने की पूरी कोशिश कर रही है. इस चुनाव में जिन क्षेत्रों से अधिक विधायक जीत कर आए हैं, उन क्षेत्रों की मंत्रिमंडल में अधिक भागीदारी देने की तैयारी चल रही है, वहीं, जातिगत समीकरण का भी पूरा खय़ाल रखा जा रहा है, जिस जाति के विधायकों की संख्या जिस हिसाब से है, उसी हिसाब से मंत्रिमंडल में उन्हें जगह मिलेगी. यानी बीजेपी क्षेत्रीय समीकरण के साथ-साथ सोशल इंजीनियरिंग का भी ख़ासा ख्याल रख रही है। मिली जानकारी के अनुसार, जिन नामों की सबसे अधिक चर्चा है उनमें सबसे खास नाम शाहनवाज़ हुसैन का है। इसके अतिरिक्त सम्राट चौधरी, संजय सरावगी, संजीव चौरसिया, भागीरथी देवी, नीतीश मिश्रा, प्रमोद कुमार या राणा रणधीर सिंह में से कोई एक, कृष्ण कुमार ऋषि, संजय सिंह और राम प्रवेश राय के नाम प्रमुखता से सामने आए हैं. हालांकि, अंतिम तस्वीर क्या निकलती है यह देखना भी दिलचस्प रहेगा।
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