नई दिल्ली। नासा यानी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी बहुत जल्द ऐसे सैटेलाइट्स तैयार करेगा जो पानी से उड़ेंगे। इन सैटेलाइट्स में ईंधन का काम पानी करे...
नई दिल्ली। नासा यानी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी बहुत जल्द ऐसे सैटेलाइट्स तैयार करेगा जो पानी से उड़ेंगे। इन सैटेलाइट्स में ईंधन का काम पानी करेगा। अगर नासा ऐसी सैटलाइट्स बनाने में सफल हो जाता है तो करोड़ों की बचत हो सकती है। नासा इस महीने के अंत में ही पाथफाइंडर टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर के तहत पहली बार पानी से उडऩे वाले क्यूबसैट सेटलाइट्स को लॅान्च करने जा रहा है। इन सैटेलाइट्स को स्पेसएक्स के फॉल्कन-9 रॉकेट से फ्लोरिडा स्थित केप से लॅान्च किया जाएगा।
अंतरिक्ष में प्रदूषण भी नहीं होगा :
नासा के मुताबिक पानी से उडऩे वाले सैटेलाइट्स की वजह से अंतरिक्ष में प्रदूषण भी नहीं होगा। अगर ये मिशन सफल होता है तो भविष्य में बड़े सैटेलाइट्स में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। नासा का ये भी कहना है कि पानी की वजह से उडऩे वाले सैटेलाइट्स अगर आपस में टकराएंगे तो विस्फोट का खतरा भी नहीं रहेगा। क्यूबसैट का प्रोपल्शन सिस्टम अंदर मौजूद पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के कणों को तोड़कर सैटेलाइट को आगे बढऩे के लिए ऊर्जा देने का काम करेगा। इसके साथ ही क्यूबसैट का सोलर पैनल भी सूरज की किरणों से एनर्जी लेकर प्रोपल्शन सिस्टम को ऊर्जा देने का काम करेगा, जिससे पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के कण अलग हो सकेंगे। ये सभी सैटेलाइट्स चार से छह महीने तक अंतरिक्ष में काम करेंगे। इस दौरान नासा इन सभी सेटैलाइट्स के प्रदर्शन की जांच करेगा। भविष्य में नासा इस तकनीक का इस्तेमाल चांद या मंगल मिशन में कर सकता है।
किफायती हो जाएगी लॅान्चिंग
: पानी में कोई विषाक्तता नहीं होती है और अन्य ईंधनों की तुलना में ज्यादा स्थिर होता है। पानी की मदद से सैटेलाइट्स की लान्चिंग में ज्यादा खर्चा भी नहीं आएगा। पानी आसानी से उपलब्ध हो जाता है और इसके इस्तेमाल से किसी तरह का कोई खतरा भी नहीं होता है।
No comments