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छत्तीसगढ़ पुलिस देशभर में दूसरे स्थान पर-पहले नम्बर पर कर्नाटक, डीजीपी डी एम अवस्थी ने 'बदला' पुलिस का चेहरा

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य की पुलिसिंग को देशभर में सराहा गया है और प्रतिष्ठित टाटा ट्रस्ट की ओर से जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट -2020 में छत्तीस...


रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य की पुलिसिंग को देशभर में सराहा गया है और प्रतिष्ठित टाटा ट्रस्ट की ओर से जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट -2020 में छत्तीसगढ़ पुलिस को देशभर में दूसरी रैंकिंग मिली है। पहले नम्बर पर कर्नाटक पुलिस रही।
टाटा ट्रस्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ पुलिस प्रति पुलिसकर्मी पर 1080 रूपये से अधिक खर्चा करती है। वहीं पुलिस ट्रेनिंग में प्रति पुलिसकर्मी 5805 रुपए खर्च होता है। इसके अलावा मॉर्डनाइजेशन, महिला स्टॉफ, बजट, वैकेंसी, ट्रेनिंग, टेक्नोलॉजी और बुनियादी ढांचे में अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर स्थिति आयी है। सूत्रों ने बताया कि ताजा रैंकिंग में छत्तीसगढ़ ने कई बड़े राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। कर्नाटक के बाद छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जो पुलिस बल की विविध आवश्यकताओं को पूरा करता है। जबकि पिछले साल जारी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ को दसवां स्थान हासिल हुआ था। इस लिहाज से इस साल छत्तीसगढ़ ने 8 रैंक उपर आकर दूसरे नंबर पर जगह बनाई है।आपको बता दें कि टाटा ट्रस्ट की ओर से हर साल इंडिया जस्टिस रिपोर्ट जारी की जाती है। जिसमें पुलिसिंग, जेल, ज्यूडिशरी, समेत कई मानकों पर हर राज्य को रैंकिंग दी जाती है। टाटा ट्रस्ट की ओर से जारी इस रैंकिंग का बेहद प्रतिष्ठित स्थान है। इस रिपोर्ट को तैयार करने में बुनियादी ढांचा, कानूनी सहायता, मानव संसाधन और 5 साल के रुझानों का आंकलन के लिये सरकारी डाटा का उपयोग किया जाता है।
छत्तीसगढ़ पुलिस ने सीमित संसाधनों के बावजूद कई बड़े राज्यों जैसे उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, गुजरात, बिहार, पंजाब, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल को पीछे छोड़ा है। इस रैंकिंग के पीछे छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा पिछले दो सालों से चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की भूमिका है जिसमें स्पंदन, समाधान, खुशियों का शुक्रवार, समर्पण जैसे कार्यक्रमों ने छत्तीसगढ़ पुलिस और आम नागरिकों के बीच बेहतर संवाद स्थापित किया है. पुलिस मित्र' योजना ने राज्य की पुलिस को जनता के बीच विश्वसनीय बनाया है।

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