नई दिल्ली। दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के लिए गुरूवार का दिन इतिहास के काले पन्नों में दर्ज हो गया. अमेरिका में सत्ता को लेकर हिंसा हुई ...
नई दिल्ली। दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के लिए गुरूवार का दिन इतिहास के काले पन्नों में दर्ज हो गया. अमेरिका में सत्ता को लेकर हिंसा हुई और इस दौरान ट्रंप समर्थकों ने अमेरिकी संसद पर हमला बोला दिया. अमेरिका की राजनीतिक पार्टियां इसके लिए ट्रंप को जिम्मेदार मान रही है.
हालांकि, गुरूवार देर शाम कर ट्रंप ने साफ कहा कि वो 20 जनवरी को अपने पद से इस्तीफा दे देंगें, लेकिन उन्होंने अपने इसी भाषा में साफ कहा है कि वो हारे नहीं है. दूसरी तरफ ट्रंप की मुश्किलें भी कम होने का नाम नहीं ले रही है. ईरान की एक अदालत ने ट्रंप को गिरफ्तार करने का आदेश जारी किया है. डॉनल्ड ट्रंप को जिस मामले में गिरफ्तारी का आदेश जारी किया गया है, उसमें अधिकतम सजा मृत्युदंड है.
डेलीपोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते साल 3 जनवरी को बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर क़ुद्स फोर्स के कमांडर जनरल क़ासीम सुलेमानी की हत्या कर दी गई थी. उस दौरान कहा गया था अमेरिकी ड्रोन हमले में क़ासीम सुलेमानी की हत्या हुई है. इस हमले में क़ासीम सुलेमानी के साथ साथ अबू महदी अल मुहंदिस की भी जान गई थी. बगदाद की इनवेस्टीगेटिव कोर्ट ने अबू महदी अल मुहंदिस की हत्या के मामले में ही ट्रंप के खिलाफ गिरफ्तारी आदेश जारी किया है.
बगदाद की इनवेस्टीगेटिव कोर्ट ने इस मामले में अबू महदी अल मुहंदिस के परिजनों के बयानों के आधार पर यह आदेश जारी किया है. बता दें, अदालत की मीडिया कार्यालय की तरफ से दी गई है. इस मामले में ट्रंप को मौत की सजा हो सकती है, लेकिन इसकी संभावना काफी कम है. इस हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि उन्होंने एक की प्राइस में दो मिले हैं.
अल-मुहांडिस इराक सरकार की मोबिलाइजेशन फोर्स के डिप्टी थे. इस समूह को ईरान समर्थत समूहों के अलावा सेना का समर्थन भी प्राप्त था. इस ड्रोन हमले के बाद इराक में अमेरिकी सेना पर ईरान समर्थक समूहों ने हमले तेज कर दिए थे. इसके बाद अमेरिका ने बगदाद के राजनयिक मिशन को बंद करने की धमकी दे दी है।
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