नई दिल्ली। मानव का अंतरिक्ष के प्रति हमेशा से रुझान रहा है. इंसान अंतरिक्ष, चंद्रमा (Moon) और मंगल (Mars) के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानका...
नई दिल्ली। मानव का अंतरिक्ष के प्रति हमेशा से रुझान रहा है. इंसान अंतरिक्ष, चंद्रमा (Moon) और मंगल (Mars) के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिक कर वहां बस्ती बसाने के बारे में भी विचार रहा है. इसके लिए सबसे ज्यादा पहल अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) सबसे तेजी से काम कर रहा है. नासा चांद पर मानव बस्ती बसाने को लेकर काफी गंभीर है और वहां एक स्थाई बेस बनाने की योजना पर काम कर रहा है.
द टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नासा साल 2024 में एक महिला और एक पुरुष अंतरिक्ष यात्री को चांद पर भेजने की तैयारी कर रहा है और इसके लिए नासा ने 18 एस्ट्रोनॉट्स के नाम शेयर किए हैं. जो नासा के इस महत्वाकांक्षी मिशन पर जा सकते हैं. इसके साथ ही नासा ने तस्वीर भी शेयर की है, जो इस मिशन को लेकर काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है
इस तस्वीर में ये दिखाने की कोशिश की गई है कि अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर रहने के दौरान पृथ्वी का कैसा नजारा देखने को मिलेगा. इस मिशन का एक महत्वपूर्ण काम चांद पर कॉलोनी बसाना भी शामिल है. यहां इंजीनियर्स (Engineers) चांद पर मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल करना भी सीखेंगे. इसके साथ ही ये अंतरिक्ष यात्री चांद पर मौजूद उन क्षेत्रों का भी मुआयना करेंगे, जिन पर अब तक बहुत ज्यादा फोकस नहीं हो पाया है.
इसके अलावा यहां पर बेस बनाने के बाद मंगल ग्रह की तैयारियां भी शुरू होंगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2030 के शुरुआती सालों में नासा मंगल ग्रह पर भी एक पुरूष और महिला अंतरिक्ष यात्री को भेजने की योजना बना रहा है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी (Europian Space Agency) के सलाहकार एडन कॉली का कहना है कि अगर हम वाकई चांद और मंगल ग्रह पर खोज को लेकर गंभीर हैं तो हमें कुछ तकनीकों पर अपनी पकड़ बनानी ही होगी. एडन का मानना है कि अंतरिक्ष यात्री बेलनाकार शेप के यान में रहेंगे लेकिन उन्हें चांद की सतह पर मौजूद रेडिएशन से सावधान रहने की जरूरत है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि एक मीटर गहरी रिगोलिथ दीवारों का इस्तेमाल चांद पर रेडिएशन से बचाने में मदद कर सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अंतरिक्ष यात्रियों को पहले कुछ साल बेहद चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ेगा. लेकिन कुछ सालों बाद एक स्थायी बेस बनने की संभावना काफी बढ़ जाएगी.
क्योंकि चांद के साउथ पोल के पास लगातार सूरज की रोशनी रहेगी जिससे यहां सोलर पैनल बिजली उपलब्ध करा सकते हैं. इसके अलावा क्रेटर में बर्फ मौजूद होगी जिसे माइन करने के बाद सांस लेने के लिए ऑक्सीजन और फ्यूल के लिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जा सकता है. नासा ने जिन तस्वीरों को शेयर किया है उनमें आप चांद की शानदार तस्वीरों को देख सकते है।
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