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दुश्मन की इस सीमा पर हाड़ जमा देती है सर्दी, फिर भी देश की सुरक्षा में डटे भारतीय जवान

 पिथौरागढ़। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में चीन सीमा से लगती अग्रिम चौकियों पर आईटीबीपी के जवान 10 हजार फीट से 16500 फीट की ऊंचाई पर भारी बर...


 पिथौरागढ़। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में चीन सीमा से लगती अग्रिम चौकियों पर आईटीबीपी के जवान 10 हजार फीट से 16500 फीट की ऊंचाई पर भारी बर्फबारी के बीच देश की सुरक्षा में मुस्तैद हैं। इन क्षेत्रों में मौजूदा समय में पांच से सात फीट बर्फ पड़ी है। जिस कारण यहां का अधिकतम तापमान माइनस 10 डिग्री से माइनस 12 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया जा रहा है।
इसके बाद भी जवान हर रोज साजो सामान के साथ चीन सीमा पर 12 से 15 किमी तक गश्त कर चीन की हर गतिविधि पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। भारी बर्फबारी के बीच उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जवान बर्फ पिघलाकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। चीन के साथ सीमा विवाद के बाद पहली बार आईटीबीपी के जवान 10 हजार फीट से 16 हजार 500 फीट तक की ऊंचाई पर तैनात हैं।
इन चौकियों पर जवानों के लिए गर्म कपड़े, रसद सामग्री हेलीकॉप्टर से पहुंचाई जा रही है। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम की खराबी के चलते जवानों के लिए सामान पहुंचाना भी चुनौती बना हुआ है। बावजूद इसके जवान देश की सुरक्षा में डटे हुए हैं। समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित रिलकोट, 8898 फीट की ऊंचाई पर बुगडियार और 16 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित दुंग चौकी में करीब 700 से 800 जवान तैनात हैं।
इस समय रिलकोट में अधिकतम तापमान माइनस चार डिग्री, बुगडियार में माइनस छह डिग्री, दुंग में माइनस 10 डिग्री और दावे में माइनस 12 डिग्री है। पांच से छह फीट बर्फ के बीच आईटीबीपी के जवान हर रोज चीन सीमा पर 12 से 15 किमी गश्त कर रहे हैं। बता दें कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सिर्फ स्वस्थ्य और फिट जवानों को भेजा जाता है। इसके लिए जवानों को विशेष तरह की ट्रेनिंग दी जाती है, जिसमें भारी बर्फबारी और एवलांच से बचना, साथी जवान के घायल या बर्फबारी में फंसने के बाद उसे निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाना, पर्वतारोहण और ऑक्सीजन की कमी के बाद भी सीमा पर डटे रहने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके लिए जवानों को विशेष मेडिकल चेकअप से भी गुजरना होता है।

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