अबेरन्यूज। हर कोई अपना एक घर बनाना चाहता है जहां वो अपनी पूरी जिंदगी खुशी खुशी बिता सकें.लेकिन कभी कभी देखा जाता है कि नया घर हर किसी को फल...
अबेरन्यूज। हर कोई अपना एक घर बनाना चाहता है जहां वो अपनी पूरी जिंदगी खुशी खुशी बिता सकें.लेकिन कभी कभी देखा जाता है कि नया घर हर किसी को फल नहीं देता है. क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है. हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों होता है. दरअसल ऐसा वास्तु दोष के कारण होता है.आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे घर बनाने से पहले शुभ जमीन की पहचान की जा सकती है.
मिट्टी परीक्षण संबंधी कुछ सिद्धांत और विधिया वास्तु में बताई गई हैं, जो वैज्ञानिक आधार पर भी एकदम सटीक बैठती हैं. वास्तु शास्त्र कहता है कि भूखंड की मिट्टी उपयुक्त हो तभी भवन निर्माण कराना चाहिए.यदि मिट्टी में कोई दोष हो तो उसका निवारण करने के बाद भवन ही निर्माण करना श्रेयस्कर रहेगा.
मिट्टी की ऊपरी परत को हटाकर नीचे की मिट्टी को हाथ में लेकर देखने से इसका रंग आसानी से पता लग जाता है और सूंधकर इसकी गंध व चखकर इसका स्वाद मालूम हो जाता है.अगर मिट्टी सुगंध और मिठास लिए हुए हैं, तो इसे ब्राह्मणी मिट्टी कहते हैं. आध्यात्मिक सुख प्रदान करने वाली ऐसी मिट्टी वाले भूखंड पर निर्मित भवन बुद्धिजीवियों, धार्मिक व्यक्तियों के लिए अनुकूल होते हैं.
पीली मिट्टी- पीली मिट्टी हल्की गंध और खटास वाली मिट्टी वैश्य मिट्टी कहलाती है. ऐसी जगह पर व्यवसायी और व्यापारी वर्ग के लिए ऐसे स्थान पर घर बनाना लाभकारी माना गया है.
काली मिट्टी- हल्की गंघ और कड़वे स्वाद वाली काली मिट्टी को शुद्ध मिट्टी कहा जाता है. इस प्रकार की मिट्टी में घर बनाना सभी के लिए फलदायक होता है.
लाल मिट्टी- क्षत्रिया मिट्टी लाल रंग, तीखी गंध और कसैले स्वाद वाली होती है। वर्चस्व और पराक्रम को बढ़ाने वाली ऐसी मिट्टी के भूखंड, प्रशासकों और राजकीय अधिकारियों के लिए उपयुक्त होते हैं.
पानी से करें पहचान-
नारायण भट्ट ग्रंथ के मुताबिक सूर्यास्त के 2*2 गए नाप का गड्ढा खोडकर उसमें पानी भर दें. सुबह के वक्त प्रात: काल में जाकर देखें, यदि पानी शेष है तो शुभ, पानी नहीं बचा लेकिन मिट्टी गीली है, को मध्यम तथा सूखकर दरार पड़ जाएं, तो यह भवन निर्माण के लिए अशुभ है.
बीच से कर सकते हैं पहचान-
भूमि परीक्षण बीज बो कर भी किया जाता है. यदि बीज समय पर अंकुरित हो जाए, तो ऐसी भूमि पर निर्माण करना वास्तु में उचित माना जाता है. जिस जगह पर विश्राम करने व्यक्ति के मन को शांति अनुभव होती है, शुभ विचार आते हैं, वो भूमि भवन निर्माण के योग्य होती है।
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