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बच्चों की सुरक्षा के लिए मददगार है हेल्पलाइन-1098

    सिंघनपुरी जंगल विकासखंड में ओपन हाउस कार्यक्रम     ग्रामीणों से जागरुकता का किया आह्वान अबेर न्यूज कवर्धा । जिले के सिंघनपुरी जंगल विक...


    सिंघनपुरी जंगल विकासखंड में ओपन हाउस कार्यक्रम
    ग्रामीणों से जागरुकता का किया आह्वान


अबेर न्यूज कवर्धा ।
जिले के सिंघनपुरी जंगल विकासखंड में ओपन हाउस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों की सुरक्षा हेतु जागरुकता का प्रयास किया गया। इस मौके पर चाइल्ड लाइन परियोजना-1098 कबीरधाम द्वारा बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई। साथ ही यह बताया गया कि बच्चों की सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन नंबर- 1098 मददगार हो सकता है।
ओपन हाउस कार्यक्रम के अवसर पर सरपंच बालूराम जंघेल ने कहा, बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण के लिए सरकार द्वारा विभिन योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस दिशा में ग्रामीणों की जागरुकता भी आवश्यक है। हेल्पलाइन नंबर-1098 की सेवा 24 घंटे मिलती है। बच्चों की मदद के लिए इस हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से ग्रामीण किसी भी समय बच्चों की मदद कर सकते हैं। कार्यक्रम में थाना प्रभारी आनंद शुक्ला ने बढ़ते अपराध तथा इससे बचाव के बारे में लोगों को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा, अपराधिक प्रवृत्तियों की रोकथाम करने के लिए ग्रामीणों की जागरुकता आवश्यक है।
निरीक्षक प्रभारी महिला सेल कवर्धा रमा कोप्टी ने महिला संरक्षण अधिनियम 2005 की जानकारी देते हुए कहा, मानसिक हिंसा, शारीरिक हिंसा , भावनात्मक हिंसा तथा आर्थिक हिंसा सहित किसी भी प्रकार से किसी महिला का यदि शोषण हो रहा है तो वह महिला सेल की मदद ले सकती हैं। जिले में महिलाओं के संरक्षण के लिए सखी सेंटर एवं बच्चों के संरक्षण के लिए चाइल्ड लाइन सेंटर भी संचालित हैं। उन्होंने बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में भी विस्तार के साथ जानकारी दी।
 चाइल्ड लाइन के टीम मेंबर महेश निर्मलकर ने उपस्थित बच्चों एवं ग्रामीणों को बालक संरक्षण अधिनियम 2012 की जानकारी देते हुए कहा, बच्चों के साथ यौन शोषण या उत्पीड़न के लिए कठोर सजा के प्रावधान किए गए हैं। सजा के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट भी बनाया गया है। टीम मेंबर राजेश कश्यप ने कहा, चाइल्ड लाइन 24 घंटे चलने वाली निशुल्क राष्ट्रीय आपातकालीन सेवा है। यह निशुल्क फोन एवं आउटरीच सेवा उन बच्चों के लिए है, जिन्हें देखभाल एवं संरक्षण की जरूरत है।
श्रम निरीक्षक सी.आर. नंदा ने कहा, बाल श्रम निषेध है। किसी भी बच्चे से श्रम करवाने पर 6 माह से 3 वर्ष तक सजा एवं 20 हजार से 50 हजार रुपये तक जुमार्ना हो सकता है। ओपन हॉउस में बच्चों ने सांस्कृतिक रंग भी बिखेरे। वहीं नोबल कोरोना वायरस के दिशा निदेर्शों का पालन करते हुए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित हुए।

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