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11 महीने बाद खुले स्कूल:स्टूडेंट्स बोले- आॅनलाइन क्लास ने मुश्किल की पढ़ाई

रायपुर। रायपुर में सोमवार सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल खुल गए। सरकार के आदेश के मुताबिक कक्षा 1 से 8वीं तक के बच्चों को नहीं बुलाया गया। सिर...


रायपुर। रायपुर में सोमवार सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल खुल गए। सरकार के आदेश के मुताबिक कक्षा 1 से 8वीं तक के बच्चों को नहीं बुलाया गया। सिर्फ 9वीं से 12वीं तक के बच्चों की क्लासेस लगीं। पिछले 11 महीनों से बंद पड़े कमरों की रौनक लौटी। रायपुर के जेएन पांडे, जेआर दानी स्कूल में 500 से अधिक स्टूडेंट पहुंचे। आम दिनों के मुकाबले ये उपस्थिति 50 प्रतिशत कम थी। स्टूडेंट्स के चेहरों पर इतने दिनों बाद स्कूल आने की खुशियां दिख रही थीं। स्कूल गेट पर बच्चों के हाथों को सैनिटाइज कराया गया। फिर थर्मल स्कैनर से बॉडी टेंपरेचर देखने के बाद उन्हें क्लास में एंट्री मिली।
-आॅनलाइन क्लास की वजह से हुई परेशानी
जेएन पांडे स्कूल के स्टूडेंट नितिन ने बताया आॅनलाइन क्लास में नेटवर्क इश्यू होने की वजह से दिक्कत आती थी। कभी वॉइस क्लियर नहीं आती थी तो कभी टीचर से सीधे डाउट करने का मौका नहीं मिलता था। स्टूडेंट विनायक ने बताया कि मेरे पास स्मार्ट फोन नहीं था। पैरेंट्स फोन लेकर काम पर चले जाते थे। अब क्लासेस लगने से हम किसी भी डाउट को टीचर्स से सीधे पूछ पा रहे हैं। क्लास रूम की बेंच पर बैठकर पढ़ने में जो मजा है, वो घर पर नहीं था। अब हम टीचर्स की मदद से अपने एग्जाम की तैयारी में जुटे हैं।
माता-पिता जाते थे मजदूरी करने तो नहीं हो पाती थी पढ़ाई
जेएन पांडे स्कूल की बायो लेक्चरर राजरानी पंडा ने बताया कि हम सब्जेक्ट के हिसाब से तीन घंटे की क्लास ले रहे हैं। पहले दिन काफी बच्चे आए हैं। बच्चे बेहद खुश हैं स्कूल दोबारा आकर। हम कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्टूडेंट्स को दूर-दूर बिठा रहे हैं। हमारे स्कूल में ऐसे भी बच्चे हैं जिनके माता-पिता मजदूरी करते हैं। कुछ के पास तो स्मार्ट फोन भी नहीं था। तो ऐसे में स्टूडेंट्स हमसे कहा करते थे कि मैडम शाम को क्लास लें या सुबह जल्दी लें क्योंकि दिन में पैरेंट्स काम पर चले जाते हैं। हम इसे किसी तरह मैनेज कर रहे थे। आॅनलाइन क्लास में कोर्स तो पूरा किया है मगर बच्चों में सब्जेक्ट को लेकर कई तरह के डाउट हैं, अब आॅफलाइन क्लास से इसे हम दूर कर रहे हैं।
तो ये होगा स्कूल में
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अलग-अलग क्लास में बच्चों के बैठने का इंतजाम किया गया है। 9वीं और 11वीं के स्टूडेंट् के विषयवार कक्षा ली जा रही है। अब तक पूरे हुए कोर्स का रिविजन और स्टूडेंट्स को किसी लेसन में आ रही परेशानी को दूर करने का काम टीचर्स करेंगे। 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स के सबजेक्टर डाउट क्लियर करने के अलावा विषयवार प्रैक्टिकल एग्जाम लिया जा रहा है। कुल मिलाकर 20 से 25 दिनों की क्लासेस पढ़ाई जोर-शोर से होगी। क्योंकि इसके बाद 9वीं से 12वीं कक्षा की परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। कक्षा 1 से 8वीं के बच्चों को आॅनलाइन क्लास में परफॉर्मेंस के हिसाब से अगली क्लास में प्रमोट किया जाएगा। यह नियम पहले से ही लागू है।
10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स के लिए
माध्यमिक शिक्षा मंडल की तरफ से जारी निर्दशों के मुताबिक 10वीं कक्षा की परीक्षा 15 अप्रैल 1 मई तक चलेगी। 12वीं कक्षा की परीक्षा 3 मई से शुरू होकर 24 मई तक चलेगी। ये दोनों ही परीक्षा आॅफलाइन मोड में होगी। यानी स्टूडेंट्स कों सेंटर्स में जाकर परीक्षा देनी होगी। इस साल कोविड के खतरे को देखते हुए यह किया गया है कि बच्चे जिस स्कूल में पढ़ते हैं, उन्हें वहीं परीक्षा देनी होगी। अलग सेंटर्स नहीं बनाए जा रहे।
-प्रैक्टिकल एग्जाम को लेकर निर्देश
इस साल प्रैक्टिकल परीक्षाएं 10 फरवरी से शुरू हो चुकी हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है। इसलिए बारी-बारी से स्टूडेंट्स को बुलाया जा रहा है। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने स्कूलों को इस बात की आजादी दे रखी है वो एक दिन में दो या तीन शिफ्ट में परीक्षा लें। प्रयोगिक परीक्षा को लेकर कहा गया है कि बच्चों की संख्या ज्यादा हो तो दो या तीन दिन में एक ही विषय की परीक्षा स्कूल ले सकेंगे। ताकि भीड़ ना जुटे। प्रायोगिक परीक्षाएं 10 मार्च से पहले पहले खत्म कर ली जाएंगी।

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