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विधानसभा में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया-एक साल में 141 किसानों ने कर ली आत्महत्या

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के पांचवे दिन नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के सवाल पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया, अप्रेल 2020 से जन...


रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के पांचवे दिन नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के सवाल पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया, अप्रेल 2020 से जनवरी 2021 तक प्रदेश के 141 किसानों ने आत्महत्या की है। मुआवजे और कार्रवाई की मांग पर चर्चा के दौरान सदन में हंगामा हो गया। भाजपा के नाराज विधायकों ने सदन की कार्यवाही से वॉकआउट किया। नेता प्रतिपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया, बीते एक साल में 141 किसानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या के अलग-अलग कारण रहे हैं। केशकाल के किसान धनीराम मरकाम की आत्महत्या मामले में अभिलेख दुरुस्ती और फसल की गिरदावरी में गलती पाई गई थी। इस मामले में पटवारी डोंगर नाग को निलंबित कर दिया गया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा, 141 किसानों की आत्महत्या एक गंभीर मामला है। इन मामलों में परिजनों को न्याय मिलना चाहिए। इन मामलों की जांच होनी चाहिए और परिजनों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए। जवाब में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, किसानों की आत्महत्या राजनीति का मुद्दा नहीं। दुर्भाग्य से भाजपा इसपर राजनीति करना चाह रही है। भाजपा शासनकाल में बड़ी संख्या में किसानों ने आत्महत्या की थी, आज भी उनकी मौत पर मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है।
सरकार केवल गुमराह कर रही: चंद्राकर
कृषि मंत्री के जवाब पर भाजपा विधायक भड़क गये। अजय चंद्राकर ने कहा, सरकार केवल गुमराह कर रही है। उन्हें बताया जाए कि सरकार मुआवजा देना चाहती है या नहीं। विधायकों ने कहा, सरकार की नीतियों की वजह से किसान आत्महत्या कर रहे हैं। जवाब में कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू ने कहा, भाजपा की सरकार के समय हजारों किसानों ने आत्महत्या की। आप लोगों ने एक रुपये का भी मुआवजा दिया हो तो बताएं। कांग्रेस विधायकों ने कहा, तब आत्महत्या करने वाले किसानों को शराबी, जुआरी और प्रेम प्रसंग में पड़ा व्यक्ति बताया गया। इस हमले से भड़के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, सरकार किसानों का अपमान कर रही है। भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने दुर्ग जिले के मातोरडीह गांव के किसान दुर्गेश निषाद की आत्महत्या का जिक्र किया। उन्होंने कहा, उस किसान ने फसल को रोग से बचाने के लिए तीन बार दवाई का छिड़काव किया। नकली दवाई की वजह से बीमारी ठीक नहीं हुई और किसान ने आत्महत्या कर लिया। ऐसे नकली दवाई बेचने वालों पर क्या कार्रवाई हुई। जवाब में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, वह एकमात्र मामला था जिसमें आत्महत्या करने वाले किसान ने सुसाइड नोट छोड़़ा था। उसके बाद क्षेत्र की कीटनाशक बेचने वाली दुकानों की जांच की गई। एक दुकान को तो 50 से अधिक दिन बंद रखा गया। भाजपा से जुड़ी उस दुकान को राजनांदगांव से संरक्षण मिल रहा था। मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन ऐसा हुआ है। मामले में राजनांदगांव का नाम आने के बाद भाजपा विधायक उखड़ गये। भाजपा विधायकों ने हंगामा कर दिया। नारेबाजी शुरू हो गई। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, मंत्री इस मामले में गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। हम उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में हम बहिर्गमन कर रहे हैं। उसके बाद भाजपा विधायक दल कार्यवाही छोड़कर बाहर निकल गया।
गोधन सेस से गोबर खरीदने पर भी हुआ हंगामा
प्रश्नकाल शुरू होते ही भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने गोधन विकास के लिए शराब बिक्री पर लगाए गए सेस के उपयोग का मामला उठा दिया। जवाब में बताया गया, इस सेस से अब तक 150 करोड़ रुपए मिले हैं। इनमें से 350 लाख का व्यय हुआ है। भाजपा विधायकों ने इस राशि का उपयोग गोबर खरीदी के भुगतान में करने का आरोप लगाकर सरकार को घेरने की कोशिश की। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, गोबर खरीदी भी गोधन और गोठान से जुड़ा हुआ मामला है। भाजपा विधायकों ने आबकारी सेस का दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। बाद में कार्यवाही से वॉकआउट कर विरोध जताया।

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