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ट्रेन के लिए माकपा का संघर्ष, रेल प्रशासन ने मांगा 15 दिन का समय

  कोरबा। लॉक डाउन के बाद से कुसमुंडा के गेवरा रोड स्टेशन से बंद पड़ी सभी ट्रेनों को चालू करने की मांग पर माकपा द्वारा आयोजित रेल चक्का जाम आं...

 


कोरबा। लॉक डाउन के बाद से कुसमुंडा के गेवरा रोड स्टेशन से बंद पड़ी सभी ट्रेनों को चालू करने की मांग पर माकपा द्वारा आयोजित रेल चक्का जाम आंदोलन को आम जनता का अभूतपूर्व समर्थन मिला। सीटू, छत्तीसगढ़ किसान सभा, जनवादी महिला समिति और रेल संघर्ष समिति के साथ ही व्यापारियों और आॅटो चालकों के संगठनों द्वारा इस आंदोलन में भाग लेने के कारण एक ओर सैकड़ों नागरिक सड़कों पर दिखे, तो दूसरी ओर जिला प्रशासन, रेल प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन भी भारी दबाव में दिखे। रेल प्रशासन ने इस मांग पर सकारात्मक कार्यवाही करने के लिए 15 दिनों की लिखित मोहलत मांगी है।
बैठक विफल, रात भर प्रशासन सक्रिय रहा
   इधर इस आंदोलन को टालने के लिए माकपा नेताओं के साथ रेल प्रशासन की बैठक विफल होने के बाद इस आंदोलन से निपटने के लिए रात भर प्रशासन सक्रिय रहा। आंदोलनकारी संगठनों और नेताओं पर आंदोलन स्थगित करने के लिए दबाव बनाया जाता रहा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रशासन के इस रुख को गैर-लोकतांत्रिक बताते हुए इसकी तीखी निंदा की है और कहा कि जायज अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन में हिस्सेदारी करना हर नागरिक का अधिकार है और कोई इसे छीन नहीं सकता। माकपा ने गेवरा से यात्री ट्रेन न चलने देने के लिए एसईसीएल प्रबंधन पर रेल प्रशासन के साथ मिलीभगत का भी आरोप लगाया है। माकपा नेता प्रशांत झा कहना है कि कोरोना संकट की आड़ में ये सब ट्रेनें मात्र इसलिए बंद कर दी गई है कि कोल परिवहन के लिए रास्ता साफ रहे। आम जनता को यह मंजूर नहीं है। प्रशासन को इस क्षेत्र से राजस्व वसूलने पर ही नहीं, नागरिकों की बुनियादी सुविधाओं की ओर भी ध्यान देना होगा, वरना आंदोलन तेज किया जाएगा।
मालगाड़ी रोकने से पहले पुलिस ने रोका
जैसे ही मालगाड़ी रोकने के लिए इस क्षेत्र के नागरिक रैली बनाकर निकले, पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा उन्हें इमलीछापर में रोक लिया गया, जिसके बाद आंदोलनकारी सड़क जाम कर बैठ गए और जोरदार नारेबाजी करने लगे। गेवरा से ट्रेनें न चलने के लिए रेल प्रशासन द्वारा कल राज्य सरकार को जिम्मेदार बताने के बाद आज वह बैकफुट पर दिखी। राज्य सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों को उसने सूचित किया कि 15 दिनों के अंदर वह इस मांग पर सकारात्मक कार्यवाही करेगा। रेल प्रशासन के इस रुख से आंदोलनकारी नागरिकों और माकपा नेताओं को सूचित करने के बाद उनके उग्र तेवरों में नरमी आई, लेकिन उन्होंने इसे लिखित रूप में देने को कहा। इसके बाद नागरिकों के गुस्से को शांत करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से कोरबा तहसीलदार, दीपका नायब तहसीलदार और कोरबा रेल्वे के एआरएम मनीष अग्रवाल को 15 दिन के अंदर ठोस निराकरण करने का लिखित आश्वासन देने के लिए बाध्य होना पड़ा। इस लिखित आश्वासन के बाद सबने मिलकर रेलवे ट्रैक को जाम करने की कार्यवाही को स्थगित करने का फैसला लिया।
आंदोलन में यहरहे शामिल
इस आंदोलन में माकपा नेता प्रशांत झा, माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर व सूरती कुलदीप, सीटू जिला महासचिव वी एम मनोहर, छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेता जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू,नंद लाल कंवर, शिवरतन, शत्रुहन, जनवादी नौजवान सभा के हुसैन अली, धर्मेंद्र, नरेंद्र साहू, रंजीत, वसीम व संतोष, जनवादी महिला समिति की राज्य संयोजक धनबाई कुलदीप, देव कुंवर, राम बाई, धनिता, रेल संघर्ष समिति के राम किशन अग्रवाल तथा सामाजिक कार्यकर्ता विशाल केलकर के नेतृव में नागरिकों के विभिन्न तबकों ने हिस्सा लिया। उल्लेखनीय है कि गेवरा स्टेशन से यात्री ट्रेनों के संचालन की मांग को लेकर माकपा चरणबद्ध आंदोलन कर रही है। इसके पहले 28 फरवरी को रेलवे अधिकारियों का पुतला भी जलाया गया था। गेवरा रोड स्टेशन से रेलवे सबसे ज्यादा राजस्व वसूल करता है। यदि आंदोलनकारियों को प्रशासन मनाने में विफल रहता और वे रेलवे ट्रैक पर पहुंच जाते, तो एसईसीएल और रेलवे दोनों को करोड़ों रुपयों का नुकसान होने का अंदेशा था। सीटू जिला महासचिव व्ही एम मनोहर ने बताया कि यदि रेल प्रशासन अपने लिखित सार्वजनिक वादे पर अमल नहीं करता, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

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