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वनवासियों के लिए आवागमन की समस्या का हुआ समाधान, घाट काट कर बना रहे 3 किमी लम्बी सड़क

कवर्धा। सुदूर वनांचल क्षेत्र में निवास करने वाले विषेश पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ...


कवर्धा। सुदूर वनांचल क्षेत्र में निवास करने वाले विषेश पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मददगार सिद्ध होता रहा है। घने जंगलों, पथरीले रास्ते और ऊंच-ऊंचे पहाड़ों के साथ घाटी में रहने वाले बैगा परिवार एक गांव से दूसरे गांव में जाने के लिए ऐसे जटिल रास्तों का सामना करते रहें है क्योंकि मुख्य सड़क कि दूरी ज्यादा होता है। वनवासियों के आवागमन की परेशनियों का हल महात्मा गांधी नरेगा योजना से घाट कटींग कार्य के रूप में हुआ।
कबीरधाम जिले के विकासखण्ड पंडरिया के सुदूर वनांचल गांव कांदावानी की जो कि जिला मुख्यालय से 100 किमी से अधिक की दूरी पर स्थित है। ग्राम पंचायत कांदावानी मुख्यालय से ग्राम बांगर एवं आमापानी जैसे अन्य गांव जाने के लिए बैगा समुदाय के साथ ग्रामीण घनें जंगलों के बीच पहाड़ो से होकर जाया करते है। प्रतिदिन आवागमन की व्यवस्था को दूरूस्त करने के उद्देश्य से ग्राम पंचायत कांदावानी में दो अलग-अलग घाट कटींग का कार्य स्वीकृत किया गया। घाट में बनने वाले रास्ते के कारण अब दूसरे गांव आना-जाना आसान हो जाएगा साथ ही दूरी कम होने से आवगमन में समय भी बचेगा।
-घाट कटिंग से बनने वाले रास्ते और ग्रामीणों को कार्य से हो रहे फायदे पर एक नजर
वित्तीय वर्ष 2020-21 में 17 लाख 31 हजार 500 रूपए की लागत से राम प्रसाद के घर से दलदल बांगर, सरईटोला, मिठा आमा रोड तक 2000 मीटर सड़क की स्वीकृति महात्मा गांधी नरेगा योजना से किया गया। इस कार्य में  16 लाख 28 हजार 800 रूपए का मजदूरी भुगतान होना प्रस्तावित है। 30 जनवरी 2021 से प्रारंभ हुए इस कार्य में अभी तक 103 बैगा परिवारों को रोजगार प्राप्त हुआ है। 188 पंजीकृत मजदूर कार्य कर रहें है जिसमे 93 पुरूष एवं 95 महिलाओं के द्वारा लगातार कार्य किया जा रहा है जो विगत 5 सप्ताह से लगातार चल रहें। इस कार्य में 3970 मानव दिवस रोजगार का सृजन हो चूका है तथा 7 लाख 54 हजार 300 रूपए का मजदूरी भुगतान अभी तक ग्रामीणों को प्राप्त हो गया है। इस सड़क के बन जाने से कांदावानी एवं आसपास के क्षेत्र के ग्रामीणों को आवागमन हेतु सीधा लाभ मिलेगा। रूखमी दादर, सरईटोला, बांगर, सेंदूरखार, भुरसीपकरी, बाहपानी आदि गांव के लोग सीधे लाभान्वित होंगे। कांदावानी के गांव बाहपानी (भलिन दादर) में दूसरा घाट कटींग कार्य भलिन दादर ज्ञान के घर से आमापानी झीरिया तक के लिए 1000 मीटर का कार्य हो रहा  है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में इस कार्य की स्वीकृति महात्मा गांधी नरेगा योजना से 9 लाख 91 हजार 400 रूपए की लागत से हुआ है। जिसमें 9 लाख 29 हजार 800 रूपए सीधे तैर पर मजदूरी पर भुगतान होना प्रस्तावित है। 25 जनवरी 2021 से प्रारंभ हुए इस कार्य में 2431 मानव दिवस रोजगार का सृजन कर कांदावानी एवं आस-पास के बैंगा समुदाय के लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है जिसके लिए 4 लाख 61 हजार 890 रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया है। लगभग 80 परिवार मिलकर इस कार्य मे 5 सप्ताह से रोजगार प्राप्त कर कार्य कर रहें है जिसमें प्रतिदिन लगभग 55 महिलाएं एवं 45 पुरूष है। यह सड़क बन जाने से 600 की आबादी को आवागमन की सुविधा प्राप्त होगी एवं सरईटोला, बाहपानी, बांगर और रूखमीदादर के ग्रामीण सीधे लाभान्वित होगें।  
-पथरीली राहों से गुजरने की समस्या का साधक बना रोजगार गारंटी योजना: सीईओ जिला पंचायत        
बीहड़ जंगल में बन रहे घाट कटिंग के कार्य पर जानकारी देते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत  विजय दयाराम के. ने बताया कि कांदावानी एवं आस पास के क्षेत्र में निवास करने वाले ग्रामीणों के लिए 3 किमी की सड़क, घाट को काट कर बनायी जा रही है। दो अलग-अलग कार्यों की स्वीकृति महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से दिया गया है। जिसके कारण सड़क निर्माण में लगे पंजीकृत मजदूरों को बहुतायत में रोजगार का अवसर प्राप्त होकर  मजदूरी भुगतान उनके व्यक्तिगत खातों में जा रहा है। रूखमी दादर एवं भलिन दादर जैसे गांव में होने वाले इस कार्य से महात्मा गांधी नरेगा योजना की सार्थकता सिद्ध होती है। उन्होंने बताया कि वनवासी अक्सर जंगल के रास्ते से बांगर, रूखमी दादर भलिन दादर, सेंदुरखार, बाहपानी, भुरसीपकरी, सरईटोला जैसे गांव आना जाना करते है उनकी आवागमन की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जंगल में घाट कटींग कर चलने योग्य मार्ग तैयार किया जा रहा है। जो आस पास के क्षेत्र में बसने वाले 1000 से 1200 की आबादी को सीधे लाभ पहुंचायेगा। वर्तमान में कार्य प्रगतिरत है तथा ग्रामीण कार्य को पूरी लगन के  साथ कर रहें है क्योंकि इससे उनके क्षेत्र का  विकास तो हो ही रहा है साथ ही सुविधाओं में वृद्धि हो रही है।

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