कवर्धा। देशभर में 16 जनवरी से कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण की शुरुआत हुई। वैक्सीन से कितने लोगों को फायदा पहुंचा, इसका पता तो बाद में चलेगा...
कवर्धा। देशभर में 16 जनवरी से कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण की शुरुआत हुई। वैक्सीन से कितने लोगों को फायदा पहुंचा, इसका पता तो बाद में चलेगा, लेकिन टीकाकरण के बीच संक्रमण का मामला जिला अस्पताल कवर्धा में सामने आया है। अस्पताल में पदस्थ एक वार्डब्वॉय वैक्सीन लगने के 7वें दिन बीमार पड़ गया। जांच में पता चला कि वह कोरोना से संक्रमित है। गंभीर बात यह है कि स्वास्थ्य अमले ने इसकी रिपोर्ट न सिर्फ लोगों से छिपाई, बल्कि उच्चाधिकारियों को भी अंधेरे में रखा। वार्डब्वॉय ने बताया कि उसने 18 जनवरी को कोरोना वैक्सीन का पहला डोज लगवाया था।
डोज लगवाने के 6वें दिन उसे सर्दी व बुखार हुआ। 7वें दिन कोविड जांच कराई, तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। यानी उसे कोरोना था। वार्डब्वॉय स्वास्थ्य कॉलोनी स्थित सरकारी क्वार्टर में रहता है, जहां वह होम क्वारेंटाइन पर था। जांच में उसकी पत्नी भी संक्रमित पाई गई।
-17 फीसदी कर्मियों ने नहीं लगवाया टीका
वैक्सीन को लेकर शुरू से ही भ्रम की स्थिति रही है। स्वास्थ्यकर्मी वैक्सीन आने पर टीका लगवाने से बचते नजर आए। स्वास्थ्य विभाग ने पहले चरण में वैक्सीनेशन के लिए 7224 हेल्थ केयर वर्कर्स का रजिस्ट्रेशन किया था। इनमें से 83 फीसदी यानी 5996 स्वाथ्यकर्मियों ने टीका लगवाया। शेष 17 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों ने वैक्सीन की डोज नहीं ली। शनिवार को पहले चरण के टीकाकरण का अंतिम दिन था।
-राज्य में पहले भी आ चुके ऐसे केस: सीएमएचओ
सीएमएचओ डॉ. शैलेन्द्र कुमार मंडल का दावा है कि छग राज्य में पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें वैक्सीन लगने के बाद व्यक्ति संक्रमित हो गया। उनका कहना है कि राजधानी रायपुर में 6-7 ऐसे केस आए हैं। बेमेतरा जिले के साजा ब्लॉक में एक स्वास्थ्यकर्मी वैक्सीन लगने के बाद कोरोना संक्रमित पाया गया, जिसका ट्रीटमेंट यहीं कवर्धा में कराया गया। सीएमएचओ का कहना है कि व्यक्ति में वायरस अटैक होने के 14 दिन बाद लक्षण सामने आते हैं। वार्डब्वॉय के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। उसे कोरोना रहा होगा, बाद में लक्षण सामने आया। वे बताते हैं कि छग में जितने कोरोना संक्रमित पाए गए हैं, उनमें से 15 से 40 प्रतिशत ए- एसिंप्टोमैटिक थे। आकस्मिक जांच करवाने पर वे पॉजिटिव पाए गए।
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