रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के चौथे दिन राज्य सरकार सुपेबेड़ा गांव की समस्या पर अपने पुराने स्टैंड से पलटती दिखी। विपक्ष ने आज किडनी के रोगों स...
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के चौथे दिन राज्य सरकार सुपेबेड़ा गांव की समस्या पर अपने पुराने स्टैंड से पलटती दिखी। विपक्ष ने आज किडनी के रोगों से गंभीर रूप से प्रभावित गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा गांव की पेयजल योजना की ओर सरकार का ध्यान खींचा। जवाब देने उठे लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने कहा, 2009 से लेकर अब सुपेबेड़ा गांव में 151 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन इन लोगों की मौत पानी की वजह से नहीं किन्हीं दूसरे कारणों से हुई है। यह बयान सरकार के पिछले स्टैंड से उलट था। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी गांव में इतने लोगों की मौत किडनी की बीमारी से हो जाए। 2019 में स्वास्थ्य मंत्री वहां गए थे, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गये थे। वहां पेयजल योजना का वादा किया, लेकिन दो साल में उसका टेंडर तक नहीं हो सका। उधर सुपेबेड़ा गांव में लोगों ने होर्डिंग लगा दी है। लोगों की जान जा रही है और यहां टेंडर प्रक्रिया ही चल रही है। विभागीय मंत्री कह रहे हैं कि अभी फाइल वित्त विभाग के पास लंबित है। ऐसा कभी नहीं हुआ कि पूरा गांव कलेक्टर के पास जाकर कहे कि उनको इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए। बृजमोहन अग्रवाल ने पूछा कि क्या सरकार युद्धस्तर पर अभियान चलाकर सुपेबेड़ा में स्वच्छ पानी की आपूर्ति कर सकती है। भाजपा विधायक नारायण चंदेल ने कहा, सरकार एक गांव को दो साल में पीने का साफ पानी मुहैया नहीं करा पाई यह दुर्भाग्यजनक है। जवाब में ढऌए मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने कहा, सुपेबेड़ा में साफ पानी का प्रबंध हम करेंगे। उन्होंने कहा, इस सरकार के कार्यकाल में ही यह परियोजना पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने कहा, सरकार की मंशा है कि जो योजना बनाई गई है उस पर जल्द काम शुरू हो। उन्होंने कहा, पेयजल योजना पर जल्दी ही काम शुरू हो जाएगा। भाजपा विधायक शिवतरन शर्मा ने कहा, पीएचई मंत्री कह रहे हैं वहां दूषित पानी से किसी की मौत नहीं हुई। स्वास्थ्य मंत्री के बयान में मौतों की वजह दूषित पानी को बताया जा रहा है। इसमें सही क्या है। जवाब में पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने कहा, स्वास्थ्य विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दूूषित पानी की वजह से किसी की मौत नहीं हुई है। मंत्री के बयान के बाद विपक्ष आक्रामक हो गया। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा, आप विशेषज्ञ हैं क्या? आप कैसे कह सकते हैं कि वहां दूषित पानी से किसी की मौत नहीं हुई। इसके बाद वहां हंगामा हो गया। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने विरोध स्वरूप सदन से वॉकआउट कर दिया।
एक दशक से किड़नी की बीमारी से जूझ रहा है गांव
यह मुद्दा गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा और आसपास के दर्जन भर गांवों से जुड़ा है। पिछले एक दशक से यह इलाका किडनी की गंभीर बीमारी से प्रभावित है। अक्टूबर 2019 में राज्य सरकार ने माना कि यहां के भूमिगत जल में भारी धातु की मात्रा अधिक है। इसकी वजह से किडनी खराब होने की संभावना बढ़ गई है। सरकार ने यहां के लिए तेल नदी से पानी लेकर नलजल योजना का वादा किया था। बजट में इसका प्रावधान भी हुआ लेकिन काम शुरू होकर बंद हो गया। विरोध जताने के लिए सुपेबेड़ा के ग्रामीण पिछले दिनों मुख्यमंत्री निवास तक पहुंचे थे।
आग लगी खदानों के ऊपर रह रहे परिवारों की समस्या सुलझेगी
कांग्रेस विधायक अरुण वोरा ने चिरमिरी के हल्दीबाड़ी, महुआ दफाई इलाके में एसईसीएल की भूमिगत खदान के ऊपर बसे परिवारों का मामला उठाया। उन्होंने कहां वहां जमीन धंस रही है। घरों में दरार पड़ गई हंै। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने बताया,यह एसईसीएल की जिम्मेदारी बनती थी कि वहां अवैध कब्जा ना होने दे। लेकिन ऐसा हुआ। एसईसीएल ने 11 परिवारों को दूसरी जगह मकान बनाकर दिया है। अरुण वोरा ने कहा, मकान तो मिले हैं लेकिन ऐसी जगह जो इंसानों के रहने लायक नहीं हंै। वहां की भी जमीन धंस सकती है। स्थानीय विधायक डॉ. विनय जायसवाल ने कहा, मंत्री ने केवल 18 परिवारों की जानकारी दी है। वास्तव में वहां 40 परिवार हैं। अभी उनको शिशु मंदिर में रहने की जगह दी गई है। उन्होंने कहा, पूरा चिरमिरी ज्वालामुखी के मुहाने पर है। उसका स्थायी समाधान किया जाना चाहिए। राजस्व मंत्री ने भरोसा दिलाया कि स्थानीय सांसद, विधायक, महापौर और रएउछ प्रबंधन के साथ बैठक कर इस मामले का समाधान कर लिया जाएगा।
-धान खरीदी में गड़बड़ी के आरोप पर हंगामा, रोकनी पड़ी कार्यवाही
विधानसभा में शून्यकाल शुरू होते हुए धान का मुद्दा फिर उठा। विपक्ष ने धान खरीदी में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए चर्चा की मांग की। भाजपा विधायकों ने कहा, पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने 28 लाख मीट्रिक टन चावल जमा करने की अनुमति दी थी। सरकार उसे जमा नहीं कर पाई। किसानों से खरीदा गया हजारों करोड़ रुपए का धान समितियों और संग्रहण केंद्रों में पड़ा-पड़ा सड़ गया। आसंदी ने इसपर चर्चा स्वीकार नहीं की तो सदन में हंगामा हो गया। विपक्ष की चर्चा की मांग को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया। इसके बाद विपक्ष आक्रामक हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा, धान का सवाल किसान के जीवन से जुड़ा हुआ है। संग्रहण बंद कर दिया गया है। समितियों में जाम की स्थिति है। सरकार से हम इस विषय पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग करते हैं। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, खरीदी प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है। जीवित किसान को कागज में मृत बता दिया गया। आरंग के विजय निषाद नाम के किसान के साथ ऐसा हुआ। उसका धान नहीं खरीदा गया।
विपक्ष ने कहा, मीलिंग से ट्रांसर्पोर्टेशन तक हर जगह कमीशन
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, मीलिंग से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक में कमीशन मांगा जा रहा है। सरकार कितना कमीशन लेगी? कमीशन के खेल की वजह से छत्तीसगढ़ का धान सड़ जाएगा। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा, धान खुले में खराब हो रहा है। उसे ढंकने के लिए पॉलिथीन भी नहीं है। कब तक धान भगवान भरोसे पड़ा रहेगा। आसंदी की ओर से स्थगन प्रस्ताव को नामंजूर हो जाने के बाद विपक्ष ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामें की स्थिति को देखते हुए सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए रोकनी पड़ी।
धान का हिसाब देने में फंसे खाद्य मंत्री, मुख्यमंत्री को आना पड़ा
छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के चौथे दिन प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत धान का हिसाब देने में बुरी तरह फंस गये। वर्ष 2019-20 में खरीदे गये धान में कटम मीलिंग से बच गये धान और एफसीआई में जमा कराये गये चावल को लेकर भाजपा विधायकों ने सवाल पूछा। जवाब में खाद्य मंत्री बुरी तरह फंस गये। उनके जवाबों से असंतुष्ट विपक्ष ने हंगामा किया। नेता प्रतिपक्ष ने मंत्री पर झूठ बोलने तक का आरोप लगा दिया। हंगामा इतना बढ़ा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस मामले में खुद हस्तक्षेप करना पड़ा।
प्रश्नकाल में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर के सवाल पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बताया, 2019-20 में खरीदे गए 3.44 लाख मीट्रिक टन धान की अभी तक कस्टम मीलिंग पूरी नहीं की जा सकी है। वह धान समितियों और संग्रहण केंद्रों में रखे हैं। केंद्र सरकार ने सेंट्रल पूल में जमा करने के लिए 28 लाख मीट्रिक टन चावल जमा कराने की अनुमति दी थी, लेकिन 24 लाख मीट्रिक टन चावल ही जमा कराया जा सका। मंत्री ने इसकी वजह आदेश मिलने में देरी और कोरोना काल की दिक्कतों को बताया। भाजपा विधायकों के सवाल पर मंत्री अमरजीत भगत ने बताया, बचे हुए धान की कस्टम मीलिंग के बाद नागरिक आपूर्ति निगम के पास जमा किया जा रहा है।
अमरजीत भगत को दे डाली सीधी चुनौती
विधायक अजय चंद्राकर ने भारतीय खाद्य एवं मानक प्राधिकरण का हवाला देते हुए पूछा कि क्या एक साल पुराना चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली में लोगों को दिया जा सकता है। जवाब में मंत्री ने कहा, विभाग के पास क्वालिटी इंस्पेक्टर हैं। उनकी जांच के बाद ही चावल जमा किया जाता है। इसके बाद भाजपा विधायकों ने मंत्री अमरजीत भगत को सीधी चुनौती दे डाली। विधायक अजय चंद्राकर ने कहा, अगर उनमें हिम्मत है तो चावल जमा करने के नार्म्स सदन के सामने रखें।
नेता प्रतिपक्ष ने झूठ बोलने का आरोप लगाया
भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा के सवाल पर मंत्री अमरजीत भगत ने बताया, दिसम्बर में उन्हें चावल जमा करने की पहली अनुमति मिली। उसके बाद चार बार समय-सीमा बढ़ाई गई। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, उनके सवाल के जवाब में मंत्री ने सितम्बर में जमा करने की जानकारी दी है। भाजपा विधायकों ने धान खरीदी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।
मुख्यमंत्री बोले, गड़बड़ी की कोई मंशा नहीं
हंगामें के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, सरकार की मंशा गड़बड़ी की नहीं है। धान और किसान का सम्मान होना चाहिए। पिछली बार बार-बार आग्रह के बाद दिसम्बर में चावल जमा करने की अनुमति मिली। उसी बीच कोरोना आ गया। ऐसे में विलम्ब हुआ है। इस बार भी पहले 60 लाख मीट्रिक टन चावल की अनुमति मिली थी। लेकिन प्रधानमंत्री से बात करने के बाद 3 जनवरी को केवल 24 लाख मीट्रिक टन चावल जमा करने की अनुमति दी। सरकार अब भी केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर इसे बढ़ाने की कोशिश कर रही है। वे कल भी केंद्रीय खाद्य मंत्री से मिलने जा रहे हैं।
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