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सिंचाई विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला, खोखरा सेन्द्री उप नहर का हाल बेहाल

अधिकारी के लंबे समय से जमे होने के कारण ठेकेदारों को नहीं है डर जांजगीर-चांपा । जांजगीर-चांपा जिले में सिंचाई विभाग एक ऐसा विभाग है जहां सिर...



अधिकारी के लंबे समय से जमे होने के कारण ठेकेदारों को नहीं है डर

जांजगीर-चांपा । जांजगीर-चांपा जिले में सिंचाई विभाग एक ऐसा विभाग है जहां सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार का ही बोलबाला है चाहे वह प्रमुख नहर हो या उप नहर उसके निर्माण से लेकर मरम्मत कार्य तक  इतना भ्रष्टाचार किया जाता है कि नहरों का कुछ ही वर्षों में नामोनिशान तक नहीं मिलता फिर पुन: विभाग द्वारा उन्हीं ठेकेदारों को ठेका देकर  कार्यों के पीछे करोड़ों रुपए खर्च कर दिया जाता है और ठेकेदार से लेकर उच्च अधिकारी तक सभी की जेब तो पूर्ण रूप से भर जाती है, परंतु शासन प्रशासन को करोड़ों का चूना लगाने में अधिकारी व  ठेकेदारों को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आती है। खोखरा सेन्द्री नहर उप संभाग जांजगीर के अंतर्गत आती है उस नहर का निर्माण 2 से 3 वर्ष पूर्व कराया गया थाश् जिसमें  वर्तमान में कई जगहों से  दरारें पड़ गई हैं और कई स्थानों पर तो पूर्ण रूप से नहर उखड़ गई है। फॉल के पास मोटी ढलाई किया जाता है जैसे पानी के बहाव बढऩे पर भी नहर ना फूट सके परंतु ठेकेदारों द्वारा अपनी जेब भरने के चक्कर में उक्त स्थानों पर घटिया निर्माण का कार्य किया गया है एवं 15 इंच मोटी ढलाई के स्थान पर सिर्फ 4 इंच की ढलाई की गई है जिससे लगभग सभी फॉल के पास के नहर पूर्ण रूप से धरा शाही हो गई है। इसकी ना तो जांच होती है और ना ही कोई कार्रवाई होती है क्योंकि अधिकारी का जमा रहना मानो एक प्रचलन सा बन गया है। अनुविभागीय अधिकारी  किसी भी हद तक भ्रष्टाचार करें उन पर किसी प्रकार का अंकुश लगा पाना शासन प्रशासन के हाथ में नहीं है। एक तरफ शासन-प्रशासन जहां कहता है कि हर विभाग में अधिकारियों का तबादला 2 से 3 वर्ष के अंदर होना स्वाभाविक है परंतु सिंचाई विभाग एक ऐसा विभाग है जहां तबादले की सुई सिर्फ कार्यपालन अभियंता पर गिरती है। बाकी लगभग सभी अधिकारी यथा स्थान पर बने रहते हैं। जांजगीर उप संभाग के सब इंजीनियर से लेकर अनुविभागीय अधिकारी व प्रभारी कार्यपालन अभियंता तक का सफर तय करने वाले  डीएल खुटे  इसका स्पष्ट उदाहरण हैं। अभी तक लगभग 20 से 25 वर्षों में इनका तबादला जांजगीर जिला से बाहर हुआ ही नहीं है। उनकी ऊंची पहुंच के चलते भले ही राज्य में किसी की सरकार हो वह अपने यथा स्थान पर बने हुए हैं शायद उनका तबादला कर पाना किसी भी उच्च अधिकारी व शासन प्रशासन के हाथ में नहीं है। एक तरफ लगता है ऐसा है कि मानो सिंचाई विभाग उनकी पर्सनल जागीर बन गई है और वह जी तोड़ के भ्रष्टाचार करें उन पर अंकुश लगा पाना शासन के हाथ में नहीं है । राज्य में 15 वर्ष पूर्व कांग्रेस की सरकार थी उसके उपरांत 2003 से दो हजार अ_ारह तक भाजपा की सरकार थी तदुपरांत पुन: कांग्रेस की सरकार बनने उपरांत भी इस अधिकारी पर शासन प्रशासन की किसी भी प्रकार की कार्रवाई ना होना समझ से परे है। शासन प्रशासन को इन पर कार्रवाईकरने की आवश्यकता है जिसके चलते कार्यों में सजगता व भ्रष्टाचार में कमी आ सके।
          --नहर निर्माण व मरम्मत के बारे में जानकारी कार्यपालन अभियंता जांजगीर दे सकते हैं। रही बात अधिकारी के तबादले की वह उच्च स्तर पर होता है हमें तबादला करने का अधिकार नहीं है।
- ऊईके सर, सी.ई. नहर विभाग बिलासपुर

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