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कासगंज हत्याकांड: घायल दरोगा ने बयां की खौफनाक दास्तान

  आगरा/कासगंज। कासगंज हत्याकांड में घायल दरोगा ने उस रात की खौफनाक दास्ता बयां की है, जिसे सुनकर आपके रोंगते खड़े हो जाएंगे। दरोगा ने बताया ...

 

आगरा/कासगंज। कासगंज हत्याकांड में घायल दरोगा ने उस रात की खौफनाक दास्ता बयां की है, जिसे सुनकर आपके रोंगते खड़े हो जाएंगे। दरोगा ने बताया कि शराब माफिया और उसके गुर्गों को पुलिस का कोई खौफ ही नहीं था, देवेंद्र और मैं पहुंचे तो उन पर कोई असर ही नहीं हुआ, हम डरे नहीं और आगे बढ़ते रहे तो हमें घेरा बनाकर पकड़ लिया गया, फिर तमंचों की बटों, लोहे की रॉड, लाठी-डंडों से पीटा, इसके बाद भाले से वार किया..। कासगंज जिले में गंगा नदी की कटरी के गांव नगला धीमर में हुई वारदात की खौफनाक दास्तान को बताता यह बयान है घायल दरोगा अशोक सिंह का। दरोगा अशोक सिंह मंगलवार शाम को सिपाही देवेंद्र सिंह के साथ अवैध शराब की सूचना पर कार्रवाई करने गए थे। इसी दौरान उन पर हमला किया गया। इसमें सिपाही देवेंद्र सिंह शहीद हो गए। अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती घायल दरोगा अशोक ने अस्पताल ले जाए जाते समय पुलिस को बताया कि नगला धीमर में कच्ची शराब बनाई जा रही थी। यह देख वे आगे बढ़ गए। शराब माफिया मोती का अड्डा भी यही है। उसके गुर्गे आ गए। उन्होंने पूछा कि यहां आने की हिम्मत कैसे हुई। उनसे कहा कि पुलिसवाले हैं, तमीज से बात करो। वहां पर मोती और उसका भाई एलकार सिंह भी मौजूद था। उन्होंने ही हमले का इशारा किया। इसके बाद तो उनके गुर्गों ने घेरा बना लिया, हम बीच में थे। देखते ही देखते हथियार आ गए और उन्होंने हमला कर दिया।
-वर्दी उतरवाई, पेड़ से बांधकर पीटा
मोती ने कहा कि ये अड्डे तक आए हैं, यह हिम्मत इनकी खुद की नहीं, इस वर्दी की है, पहले इसे उतरवाओ। गुर्गों ने वर्दी उतरवा दी। इसके बाद दोनों को पेड़ से बांध दिया और फिर बेरहमी से पीटा। वे चीखे लेकिन माफिया और गुर्गों के अलावा कोई और सुनने वाला नहीं था।
-मोती ने कहा था- मारो और लाश छिपा दो
जब गुर्गे हमें पीट रहे थे, तब शराब माफिया मोती ने कहा कि इन्हें इतना पीटो की मर जाएं और ध्यान रखना, लाश को यहां मत छोडऩा। नदी में बहा दो या कहीं और छिपा दो, पुलिस को लाश नहीं मिलनी चाहिए।
-लगा था नहीं बचेगी जान
शराब माफिया के हमले के शिकार दरोगा अशोक कुमार की हालत स्थिर है, मगर नाजुक बनी हुई है। ऑक्सीजन सपोर्ट पर होने के कारण वे बहुत ज्यादा बात तो नहीं कर पा रहे, मगर सिर हिलाकर या हां-ना में टूटे-फूटे जवाब देकर अपने साथ घटित खौफनाक मंजर को बयान कर सिहर उठते हैं। वे बस इतना बताते हैं, जो हुआ, उसमें उन्हें नहीं लगता था कि जान बच पाएगी। ईश्वर ने ही दूसरा जीवन दिया है। हमलावर भी उन्हें मृत समझकर छोड़कर भाग गए थे। आईसीयू वार्ड में भर्ती किशनी के गांव देवा निवासी और कासगंज के सिढ़पुरा थाने में तैनात दरोगा अशोक कुमार के सिर, दोनों पैर और सीने पर गंभीर चोटें हैं। हमलावरों के जाने के बाद काफी दूर तक वह घिसट-घिसटकर गांव की ओर बढ़ रहे थे, मगर कुछ दूर चलकर चोट व दर्द के कारण वह बेसुध हो गए। इसके बाद उन्हें जब पुलिस ने उठाया, तब अहसास हुआ कि जीवित हैं।

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