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कृषि के नवीन तकनीकों के प्रयोग से आत्मनिर्भर हो रहे हैं बस्तर के किसान

रायपुर। खेती की उन्नत तकनीक अपनाकर बस्तर के किसान आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर है। विकासखंड जगदलपुर में ग्राम चिलकुटी के कृषक श्रीधर न...


रायपुर। खेती की उन्नत तकनीक अपनाकर बस्तर के किसान आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर है। विकासखंड जगदलपुर में ग्राम चिलकुटी के कृषक श्रीधर ने कृषि से संबंधित विभागीय योजनाओं का लाभ लेकर आर्थिक विकास किए। श्रीधर के पास लगभग 4 एकड़ कृषि योग्य भूमि है। जिसमें सिचांई के साधन नहीं होने के कारण केवल खरीफ में धान की फसल लिया करते थे। साथ ही उन्हें वर्षा आधारित खेती होने के कारण मंशानुरूप उत्पादन भी नहीं मिल पाता था। कृषि विभाग योजनान्तर्गत कृषक श्रीधर ने नलकूप खनन करवाया, फलस्वरूप खरीफ में धान एवं रबी में मटर, सूरजमुखी, मूंगफली, मक्का एवं अन्य साग-सब्जियों की खेती कर अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे ंहै। सिचांई हेतु स्प्रिंकलर, ड्रिप सिस्टम भी उनके द्वारा स्थापित किया गया है। कृषक श्रीधर ने बताया कि कृषि विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन में गतवर्ष हरितक्रांति योजनान्तर्गत 01 हेक्टर में धान की कतार रोपा विधि से रोपाई किया। साथ ही मृदा जांच पश्चात प्राप्त स्वायल हेल्थ कार्ड की अनुशंसा के आधार पर उर्वरक, खाद्य एवं सुक्ष्म पोषक तत्वों का प्रबंधन कर पहले की अपेक्षा में अधिक उत्पादन प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि खाद एवं उर्वरक में होने वाला खर्च कम होने से अधिक आय अर्जित की एवं राज्य शासन द्वारा निर्धारित मुल्य पर धान विक्रय कर लगभग 90 हजार की आमदनी प्राप्त किया। कृषक श्रीधर का कहना है कि एक फसलीय की अपेक्षा अंतर्वर्ती एवं मिश्रित फसल प्रणाली से खेती किए जाने पर खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ अतिरिक्त मुनाफा प्राप्त होता है। श्रीधर ने बताया कि वर्तमान रबी में कृषि विभाग की आत्मा योजनान्तर्गत विभागीय अधिकारियों के मार्गदर्शन में मटर, मूंगफली एवं सूरजमुखी की उन्नत तकनीक से बुआई की है। जिससे इस वर्ष अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने की संभावना है। छोटे से ग्राम चिलकुटी का किसान श्रीधर आज नई तकनीक अपनाकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर है।
उरमापाल के कृषक भीमा की संवरी जिन्दगी
छत्तीसगढ़ में कृषि की नई तकनीक ने किसानों को समृद्धि की नई राह दिखाई है। प्रदेश के दूरस्थ जिला सुकमा जिले के उरमापाल के किसान भीमा को समृद्धि की इस नई राह को दिखाने में कृषि विभाग की आत्मा योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सुकमा में छिन्दगढ़ विकासखण्ड के कृषकों द्वारा ही सबसे अधिक धान की खेती की जाती हैं। परन्तु अब इस क्षेत्र के किसान धान के अलावा भी अन्य फसल के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। भीमा मण्डावी जैसे युवाओं ने आधुनिक कृषि को अपनाकर न केवल स्वयं समृद्धि की राह पर कदम बढ़ाया है, बल्कि क्षेत्र के युवा कृषकों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत और मार्गदर्शक बन रहें हैं।
अधिकारियों ने आधुनिक तकनीक से अच्छी पैदावार लेने के तरीके सिखाए
भीमा मण्डावी ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा संचालित एक्सटेंशन रिफॉर्म्स (आत्मा) योजनांतर्गत जिला स्तरीय प्रशिक्षण तथा विकासखण्ड स्तरीय प्रशिक्षण एवं शैक्षणिक भ्रमण के माध्यम से कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा कृषकों को आधुनिक तकनीक से अच्छी पैदावार लेने के तरीके सिखाए गए। इसके साथ ही खेत में जैविक खाद के उपयोग से फसल उत्पादकता बढ़ाकर लाभ कमाने का प्रशिक्षण भी दिया गया। भीमा ने विकासखण्ड स्तरीय प्रशिक्षण में भाग लेकर आधुनिक खेती के बारे मे तकनीकी ज्ञान पाया और फिर अपने खेत पर उन तकनीक का प्रयोग करने लगे। वे अब आधुनिक कृषि का प्रशिक्षण लेने के साथ ही शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि खेती में अच्छी पैदावार से भीमा की आय लगभग दोगुनी हो गई।
क्रेडा विभाग के माध्यम से सौर सुजला योजना का लाभा मिला
भीमा अपने 2.5 एकड़ कृषि योग्य भूमि में 4 साल से साग भाजी की खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि वे प्रति वर्ष बैंगन, भिंडी, टमाटर, बरबट्टी, लौकी, करेला आदि की फसल लेते हैं। पूर्व में खेती के लिए भीमा वर्षा पर निर्भर था। वर्षा आधारित खेती से वे थोड़ी बहुत सब्जियों का उत्पादन कर पाते थे जो केवल घर उपयोग मात्र ही होता था। कड़ी मेहनत के बावजूद उन्हें आय में कोई लाभ नहीं मिल रहा था। वर्ष 2016 में क्रेडा विभाग के माध्यम से सौर सुजला योजना का लाभा मिला जिससे वर्षा पर उनकी निर्भरता खत्म हो गई और बड़ी आसानी से वह अपने खेत में लगे फसलों को आवश्यकतानुसार पानी उपलब्ध कराने लगे। सिंचाई में हुई इस सुविधा से भीमा अब साल में दो बार फसल का उत्पादन करने लगे हैं जिससे उन्हें अधिक आय प्राप्त होने लगी है।
आत्मा योजना से उन्नत तकनीकी से खेती की
उन्होंने कहा कि आत्मा योजना से उन्नत तकनीकी से खेती करने पर अन्य कृषक प्रभावित होकर इस नई तकनीक की ओर अग्रसर हो रहे हैं तथा कृषि कार्यों में पहले की अपेक्षा काफी सुधार होता जा रहा है। जिससे ग्राम उरमापाल के सभी किसान कृषि की बदलती परिस्थितियों को अपनाकर कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। कृषक भीमा मण्डावी ने बताया कि गत वर्ष उन्होंने सब्जी बेचकर लगभग 90 हजार की शुद्ध आमदनी हुई थी जिसमें 15 हजार रूपए के बैंगन, 8 हजार रूपए की भिण्डी, 20 हजार रूपए बरबट्टी, 50 हजार रूपए की टमाटर की बिक्री हुई थी। इसके साथ ही केले की फसल से 1.5 लाख रूपए की शुद्ध आमदनी हुई थी। इस वर्ष भी उन्होंने बैंगन, भिंडी, टमाटर, बरबट्टी, लौकी, करेला आदि की फसल ली है। जिसकी पैदावार शुरू हो चुकी है, अब तक उन्होंने 3 हजार की सब्जियाँ बेचकर की आमदनी की है। गतवर्ष की भाँति इस वर्ष भी अधिक आमदनी की उम्मीद है। नजदीकी गांव, स्थानीय बाजार से लेकर सुकमा तक उनके सब्जियों की मांग है, वहीं कई ग्राहक घर में ही आकर उनसे सब्जियां खरीदते हैं। वे क्षेत्र के युवा कृषकों को भी अपने अनुभव साझा करते हुए उन्नत कृषि के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं साथ ही अपने कार्य को लगातार बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं। कृषक भीमा मण्डावी ने शासन प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार कृषकों के हित में कई योजनाएं क्रियान्वित कर रही हैं जिसका लाभ कृषकों को निश्चित तौर पर मिल रहा है। अब सुकमा के किसान भी धान और मक्का की फसल के अलावा भी अन्य फसलों की सफल खेती कर रहें हैं। जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है और जीवनस्तर बेहतर हुआ है।
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