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छत्तीसगढ़ भाजपा प्रभारी डी.पुरंदेश्वरी का बयान भाजपा की अधिनायकवादी मनोवृत्तियो का जीता जागता सबूत : शैलेश नितिन त्रिवेदी

अबेर न्यूज़ रायपुर। भाजपा की छत्तीसगढ़ प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी ने यह कहा है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भाजपा के विषय में नहीं बोलना चाहिए। ...


अबेर न्यूज़ रायपुर। भाजपा की छत्तीसगढ़ प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी ने यह कहा है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भाजपा के विषय में नहीं बोलना चाहिए।

भाजपा प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी के इस बयान पर कड़ी आपत्ति करते हुए कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा और आरएसएस के डीएनए में जो तानाशाही है, भाजपा प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी का यह बयान उसी अधिनायकवाद का जीता जागता सबूत है। भाजपा ने लोकतंत्र तो कभी सीखा नहीं इन्हें सिर्फ और सिर्फ अधिनायक वादी मनोवृतियों से ही सरोकार है। कांग्रेस के तो खून में लोकतंत्र और आजादी है। पुरंदेश्वरी हमें यह सिखाने की कोशिश ना करें कि हमें क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है। लोकतंत्र में सब को अपनी बात कहने का अधिकार है। सूचना के इस युग में तो दुनिया बहुत छोटी हो गई और भाजपा यह तो चाहती है कि वह सब की आलोचना करें प्रदेश में देश में और विश्व में सब की आलोचना करें लेकिन अपनी किसी आलोचना को सुनने के लिए भाजपा कदापि तैयार नहीं है।

भाजपा प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी के बयान पर तंज कसते हुये प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा प्रभारी को उनके तानाशाही सोच से भरपूर बयान के लिये आईना दिखाया तो डी. पुरंदेश्वरी तिलमिला गई। भाजपा प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी के पास मौका था कि वह साबित करती कि वह वह नहीं है जो उनके बारे में कहा जा रहा है। हंटर चलाने के जो आरोपो को गलत करने का उनके पास सुनहरा अवसर था लेकिन डी. पुरंदेश्वरी ने तो आलोचना के स्वरों को ही खामोश करने की बात करके अपने अधिनायक वादी चरित्र का जीता जागता सबूत प्रस्तुत कर दिया।

भाजपा प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी के बयान पर तंज कसते हुये प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि भाजपा प्रभारी भाजपा में मची सिर फूट्टवल, गुटबाजी कार्यकर्ताओ की नाराजगी को दूर करने में असहाय नजर आ रही है। दो दौरे में ही डी. पुरंदेश्वरी भाजपा प्रभारी के रूप में असफल साबित हो गई। पूर्व भाजपा प्रभारी के समय स्थापित हुई गुटबाजी को तोड़ना पुरंदेश्वरी के लिये कठिन काम है। 


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