नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में किसान 100 से अधिक दिनों से दिल्ली की अलग- अलग सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक...
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में किसान 100 से अधिक दिनों से दिल्ली की अलग- अलग सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत इस आंदोलन का मुख्य चेहरा हैं। वो आंदोलन को आगे बढ़ाने के मकसद से विभिन्न राज्यों में हो रहे किसान महापंचायतों में भाग ले रहे हैं। मीडिया से भी उनकी बातचीत लगातार जारी है। इस बीच लंबे समय से किसान नेताओं और सरकार की बातचीत ठप्प पड़ी है। दोनों पक्षों के बीच पूर्व में 11 दौर की बातचीत हुई थी जिसका कोई हल नहीं निकल सका। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत कई मंत्री किसानों से बातचीत में शामिल रहे। राकेश टिकैत के भाई और भाकियू के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने हाल ही में कहा कि अगर किसानों से बातचीत करने के लिए राजनाथ सिंह आते हैं तो कोई हल नहीं निकल सकता है लेकिन सरकार ने उन्हें पिंजरे का तोता बना रखा है।
इस मुद्दे पर अब अब राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार जितने भी मंत्रियों को बातचीत के लिए भेजती थी उनके पावर में कटौती करके उन्हें भेजती थी। उन्होंने कहा कि अगर नरेंद्र सिंह तोमर के पास पॉवर होता तो वो कानून वापस ले लेते क्योंकि वो भी खेती किसानी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, 'पूरा पावर देकर सरकार किसी को भी भेजे, उन्हें पूरी ताकत देकर भेजे कि आप जो कहोगे, वो हम मान जाएंगे तो फैसला हो जाएगा। अब सरकार मंत्रियों को तो जरूर भेज रही है लेकिन उनके अधिकारों में कटौती कर के भेज रही है तो कैसे होगा।Ó
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर बोलते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि उनके पास पूरा पावर नहीं है। वो बोले, 'उनको पूरा पॉवर देकर नहीं भेजा, उनके पास पूरा पावर नहीं है, अगर होता तो अब तक कानून वापस ले लेते वो। क्योंकि वो भी खेत में काम करते हैं। उनको नुकसान हो रहा है या नफा हो रहा है, उसी आधार पर कर देते वो।Ó बहरहाल, राकेश टिकैत किसान महापंचायतों में सक्रिय रूप से हिस्सा ले रहे हैं। अभी वो राजस्थान में अलग - अलग आयोजित सभाओं को संबोधित कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने राजस्थान के सीकर में आयोजित महापंचायत को संबोधित किया। राकेश टिकैत ने वहां बोलते हुए कहा कि किसानों को कोई बांट नही पाएगा, अब देश में एक नई बिरादरी पैदा हो रही है जिसका नाम है किसान।
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