कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के विश्वभारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को वीडियो कॉन्फे्रंसिंग के जर...
कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के विश्वभारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को वीडियो कॉन्फे्रंसिंग के जरिए संबोधित किया। इस मौके पर बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद रहे। छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश के युवा में भविष्य को बदलने की शक्ति है, आपको तय करना है कि आप समस्या का हल करना चाहते हैं या समस्या का हिस्सा बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता में रहते हुए संवेदनशील रहना जरूरी होता है, ऐसे ही हर विद्वान को जिम्मेदार होना पड़ता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में जो लोग आतंक फैला रहे हैं उनमें कई शिक्षित लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सफलता-असफलता हमारा भविष्य तय नहीं करती है, लेकिन आपको फैसला लेने में डरना नहीं चाहिए। नई शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत में जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, वो पुरानी बेडिय़ों को तोडऩे के साथ ही, विद्यार्थियों को अपना सामथ्र्य दिखाने की पूरी आजादी देती है। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता, देश की बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है।
बंगाल ने भारत के समृद्ध ज्ञान-विज्ञान को आगे बढ़ाने में देश का नेतृत्व किया
मेरा आग्रह है, अगले 25 वर्षों के लिए विश्व भारती के विद्यार्थी मिलकर एक विजन डॉक्यूमेंट बनाएं। वर्ष 2047 में, जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष का समारोह मनाएगा, तब तक विश्व भारती के 25 सबसे बड़े लक्ष्य क्या होंगे, ये इस विजन डॉक्यूमेंट में रखे जा सकते हैं। भारत जो है, जो मानवता, जो आत्मीयता, जो विश्व कल्याण की भावना हमारे रक्त के कण-कण में है, उसका एहसास बाकी देशों को कराने के लिए विश्व भारती को देश की शिक्षा संस्थाओं का नेतृत्व करना चाहिए। इस वर्ष हम अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। विश्व भारती के प्रत्येक विद्यार्थी की तरफ से देश को सबसे बड़ा उपहार होगा कि भारत की छवि को और निखारने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें। बंगाल ने अतीत में भारत के समृद्ध ज्ञान-विज्ञान को आगे बढ़ाने में देश को नेतृत्व दिया। बंगाल, एक भारत, श्रेष्ठ भारत की प्रेरणा स्थली भी रहा है और कर्मस्थली भी रहा है
शिक्षा नीति आंत्रेप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देती है
भारत की आत्मनिर्भरता, देश की बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार जेंडर इन्क्लूजन फंड की भी व्यवस्था की गई है। हाल ही में सरकार ने देश और दुनिया के लाखों जर्नल्स की फ्री एक्सेस अपने स्कॉलर्स को देने का फैसला किया है। इस साल बजट में भी रिसर्च के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से आने वाले 5 साल में 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव रखा है। ये शिक्षा नीति आंत्रेप्रेन्योरशिप, सेल्फ इंप्लॉयमेंट को भी बढ़ावा देती है। ये शिक्षा नीति रिसर्च को, इनोवेशन को बढ़ावा देती है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में ये शिक्षा नीति भी एक अहम पड़ाव है।
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