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Gadiyaghat Mata Mandir : आदि शक्ति माताजी के इस मंदिर में हर दिन होता है ये चमत्कार, जानिए घी अथवा तेल से नहीं बल्कि इस चीज से जलती है ज्योति

abernews अबेर न्यूज।  हमारे देश में हजारों मंदिर है और हर मंदिर की अपनी अलग विशेषता है. कुछ मंदिर से इतने रहस्यमयी है कि उनके रहस्यों के बार...


abernews अबेर न्यूज। 
हमारे देश में हजारों मंदिर है और हर मंदिर की अपनी अलग विशेषता है. कुछ मंदिर से इतने रहस्यमयी है कि उनके रहस्यों के बारे मे आज तक कोई जान भी नहीं पाया. ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है. ये मंदिर अद्भुत चमत्कार के लिए पूरे देश में जाना जाता है. इस मंदिर में एक दिया यानी ज्योति है जो तेल या घी से नहीं बल्कि पानी से जलती है. वैज्ञानिक भी इस मंदिर के इस रहस्य का आज तक पता नहीं लगा पाए. आज हम आपको इसी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं.

दरअसल, मध्य प्रदेश में काली सिंध नदी के किनारे आगर-मालवा के नलखेड़ा गांव से करीब 15 किमी दूर गाड़िया गांव के पास एक मंदिर स्थित है. इस मंदिर को (Gadiyaghat Mata Mandir Madhya Pradesh ) गड़ियाघाट वाली माताजी के नाम से जाना जाता है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पहले यहां हमेशा तेल का दीपक जला करता था, लेकिन करीब पांच साल पहले उन्हें माता ने सपने में दर्शन देकर पानी से दीपक जलाने के लिए कहा. इसके बाद पुजारी ने सुबह उठकर जब उन्होंने पास बह रही काली सिंध नदी से पानी भरा और उसे दीए में डाल दिया.
उसके बाद दीए में रखी रुई के पास जैसे ही जलती हुई माचिस ले जाई गई, वैसे ही ज्योत जलने लगी. यह देखकर पुजारी खुद भी घबरा गए और करीब दो महीने तक उन्होंने इस बारे में किसी को कुछ नहीं बताया. बाद में उन्होंने इस बारे में कुछ ग्रामीणों को बताया तो उन्होंने भी पहले यकीन नहीं किया, लेकिन जब उन्होंने भी दीए में पानी डालकर ज्योति जलाई तो ज्योति जल उठी.

ऐसा कहा जाता है कि उसके बाद इस चमत्कार की चर्चा पूरे गांव में फैल गई. तब से लेकर आज तक इस मंदिर में काली सिंध नदी के पानी से ही दीपक जलाया जाता है. कहा जाता है कि जब दीपक में पानी डाला जाता है, तो वह चिपचिपे तरल पदार्थ में बदल जाता है और दीपक जल उठता है.
स्थानीय नविासयिों के मुताबिक, हालांकि पानी से जलने वाली यह ज्योत बारशि के मौसम में नहीं जलता है. क्योंकि बरसात के मौसम में काली सिंध नदी का वाटर लेवल बढ़ने से यह मंदिर पानी में डूब जाता है, जिससे यहां पूजा करना संभव नहीं होता, हालां की शारदीय नवरात्रि के पहले दिन यानी घटस्थापना के साथ ज्योत दोबारा जला दी जाती है, जो अगले साल बारशि के मौसम तक लगातार जलती रहती है।

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