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अनियमितता का अड्डा बना छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम: 101 करोड़ की हेराफेरी उजागर

रायपुर। छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम अनियमितता का अड्डा बन गया है। यहां 101 करोड़ की वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है। इस मामले में छत्तीसगढ़ पाठ्...


रायपुर। छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम अनियमितता का अड्डा बन गया है। यहां 101 करोड़ की वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है। इस मामले में छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष  शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि जो दोषी पाए जाएंगे उन पर कडी कार्रवाईकी जाएगी। उन्होंने कहा कि  पूर्ववर्ती सरकार में इन गड़बड़ियों को अंजाम दिया गया था। इस वित्तीय अराजकता पर नियंत्रण के लिए सभी जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं। संबंधितों को नोटिस जारी किया जा रहा है। उनके जवाब के आधार पर निगम जिम्मेदारी तय करेगा। अगर गबन प्रमाणित होता है तो उनसे रिकवरी की जाएगी।  यह गड़बड़ी 2008-09 और 2009-10 के आॅडिट में पकड़ी गई थी। स्थानीय निधि संपरीक्षा का कार्यालय निगम के अधिकारियों को हर साल इन आपत्तियों की याद दिलाता रहा, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने पिछले 10 वर्षों में इसका कोई जवाब ही नहीं दिया। छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा के सीनियर आॅडिटर बीके साहू ने पिछले दिनों पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने याद दिलाया था कि 2008-09 और 2009-10 की आॅडिट आपत्तियों को पिछली बार 2017 में निगम को भेजा गया था। आॅडिटर ने उन दो वर्षों में 141 मामलों पर आपत्ति दर्ज की थी। इसमें कुल 101 करोड़ 85 हजार 535 रुपए की अनियमितता हुई थी। अब आॅडिटर ने इन आपत्तियों पर कार्रवाई करने की ओर फिर से ध्यान दिलाया है। आॅडिटर ने निगम के प्रबंध संचालक को ध्यान दिलाया है कि आॅडिट आपत्तियों पर चार महीने के भीतर कार्यवाही कर स्थानीय निधि संपरीक्षक को बताना होता है, लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है।
निगम के 98 लाख अनुदान में बांटे
आॅडिटर ने एक दूसरे पत्र में 16 करोड़ 62 लाख 87 हजार 119 रुपए के घोटाले की भी याद दिलाई है। आॅडिट में सामने आया था कि पाठ्य पुस्तक निगम ने पाठ्य पुस्तक निधि से भिन्न क्षेत्र के व्यक्तियों और संस्थाओं को 98 लाख 88 हजार रुपए का स्वेच्छानुदान बांट दिया, यानी ऐसे लोगों को अनुदान दिया गया जो निगम से किसी भी तरह से जुड़े नहीं थे।
आठ करोड़ रुपए की आय को बैलेंसशीट में ही नहीं रखा

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