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सड़क पर मवेशी और इधर 10 लाख का कांजी हाउस हुआ वीरान, बंद पड़ा वर्षों से

  गुरुर। एक तरफ जहां सरकार शहरी क्षेत्रों में एक काऊ कैचर योजना लागू करती है इस योजना को बनाने का उद्देश्य यह है कि सड़कों पर आवारा मवेशी ना...

 


गुरुर। एक तरफ जहां सरकार शहरी क्षेत्रों में एक काऊ कैचर योजना लागू करती है इस योजना को बनाने का उद्देश्य यह है कि सड़कों पर आवारा मवेशी ना भटकें और उन्हें एक निश्चित स्थान यानी कांजी हाउस में रखा जाए पर गुरुर में नजारा कुछ और ही है। यहां पर लगभग 10 लाख की लागत से कांजी हाउस का निर्माण तो किया गया है लेकिन इसका वर्षों से उपयोग नहीं हो रहा है। नगर पंचायत प्रशासन की लापरवाही के चलते यह हाल देखने को मिल रहा है जो जहां की नाकामी को भी बता रहा है। सरकार के पैसों का किस तरह से दुरुपयोग हो रहा है और कैसे लोगों को परेशानी हो रही है गुरुर नगर क्षेत्र की बात करें तो यहां के चौक चौराहों पर आवारा मवेशियों का डेरा बना रहता है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि क्या कांजी हाउस भवन को शो पीस के लिए बनाया गया है अगर इसे बनाया गया है तो इसका उपयोग किया जाना चाहिए। यहां जो सुविधा उपलब्ध है उनका फायदा जनमानस को मिलना चाहिए, ताकि सड़क पर बैठे हुए आवारा मवेशियों से किसी को कोई परेशानी ना हो, उन्हें इस सुरक्षित जगह पर रखा जाए। उनके लिए चारा पानी का इंतजाम किया जाए पर ऐसा कुछ भी नगर पंचायत गुरुर में देखने को नहीं मिला है, जिसके चलते काऊ कैचर योजना यहां पर धराशाई हो रही है ।

वीरान पड़ा है कांजी हाउस

जब हम उक्त निर्मित सरकारी कांजी हाउस का जायजा लेने पहुंचे तो वहां वीरानी का आलम था। कांजी हाउस के भीतर झाड़-फूंस उग गए थे जो यह बता रहे थे कि यहां वर्षों किसी ने  कदम तक नहीं रखा है। ताले तो खुले ही नहीं हंै उस पर गेट इतना छोटा है कि कोई भी फांद कर अंदर घुस सकता है। अंदर शराब की खाली बोतलें भी पड़ीं मिलीं जो बता रहे थे कि यह सरकारी भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा भी बन चुका है। किसी तरह की निगरानी यहां नहीं होती है। सरकार के पैसों का दुरुपयोग इस भवन निर्माण में जमकर हुआ है। एक तरफ जहां चौक-चौराहों पर आवारा मवेशी डेरा जमाए रहते हैं कभी भी सड़क हादसे का खतरा बना रहता है। वहां इस तरह लाखों खर्च कर बनाया गया कांजी हाउस खाली नजर आता है, जोकि नगर पंचायत प्रशासन की लापरवाही व उदासीनता का परिणाम है।
 गोधन न्याय योजना में भी लापरवाही
 ग्रामीण क्षेत्र के अलावा सरकार शहरी क्षेत्रों में गोधन न्याय योजना पर भी क्रियान्वयन को लेकर बात करती है पर गुरुर में यहां का नगर पंचायत प्रशासन इस योजना को लेकर जरा भी गंभीर नहीं दिख रही है, जिसका परिणाम यही है कि कांजी हाउस खाली है और मवेशी सड़कों पर बैठे रहते हैं। यह धमतरी मुख्य मार्ग है लगातार इस मार्ग पर वाहनों का आना जाना होता है जो नेशनल हाईवे से भी जुड़ा हुआ है। पर इसके बाद भी यहां मवेशियों से होने वाली दुर्घटनाओं पर विराम नहीं लगाया जा सका है। ना ही मवेशियों को व्यवस्थित किया जाता है। कुल मिलाकर कहे तो कोई देखने वाला ही नहीं है। अब ऐसे में लोग सवाल उठा रहे हैं कि कांजी हाउस क्या देखने के लिए बना है इसका इस्तेमाल अगर नहीं हो रहा है तो इसे बनाया ही क्यों गया था?
- जहां जरूरत वहां नहीं बना यहां खाली पड़ा है भवन
 एक तरफ जहां ब्लॉक के कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां कांजी हाउस की जरूरत रहती है और वहां कांजी हाउस का भवन नहीं है या कई गांव ऐसे हैं जहां पर कांजी हाउस भवन खंडहर में तब्दील हो चुके हैं पर वहां नया भवन तक नहीं बन रहा है। नई योजना के तहत गांव में कांजी हाउस बनाया ही नहीं जा रहा है पहले पंचायत द्वारा उसका संचालन भी किया जाता था पर अब कोई संचालन व्यवस्था ही नहीं है, जिसके चलते गांव में कांजी हाउस अब सिर्फ सपना बन चुका है। सिर्फ सरकार गौठान पर फोकस कर रही है तो वहीं दूसरी ओर शहर में इस तरह लाखों खर्च करके बनाए गए कांजी हाउस वीरान पड़े हुए हैं। जहां ना मवेशी हंै ना मवेशी के रखवाले । जो मवेशी हैं वे सड़कों पर रोज टहलते घूमते, बैठे, ट्रैफिक जाम करते नजर आते हैं।

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