रायपुर। सुपोषण के लिए जिले में एक और प्रयास की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। कलेक्टर के मार्गदर्शन और स्वास्थ्य विभाग के निर्देशन में 15 स...
रायपुर। सुपोषण के लिए जिले में एक और प्रयास की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। कलेक्टर के मार्गदर्शन और स्वास्थ्य विभाग के निर्देशन में 15 से 22 मार्च तक जिले में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसके अंतर्गत एक से 19 वर्ष तक के बच्चों व किशोर-किशोरियों को कृमि यानि पेट के कीड़ों से बचाने के लिए एल्बेंडाजॉल दवा खिलाई जाएगी। कार्यक्रम का संचालन कोविड -19 से संबंधित समस्त दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए किया जाएगा । दवा खिलाने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की ओर से समुदाय स्तर पर मितानिन व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सौंपी गई है। यह लोग गृह भ्रमण कर बच्चों व किशोर-किशोरियों को एल्बेंडाजॉल दवा खिलाएंगे। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम जिले के स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा स्वच्छ भारत मिशन के सहयोग से किया जाएगा। इस परिपेक्ष्य में कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा की अध्यक्षता में जिला टास्क फोर्स ( डी.टी.एफ. ) की बैठक भी आयोजित की गई जिसमें कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम की रूपरेखा पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी , जिला पंचायत, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी , जिला शिक्षा अधिकारी, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी , जिला समन्वयक , स्वच्छ भारत मिशन एवं डी.पी.एच.एन.ओ. उपस्थित थे।
जिले में सुपोषण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे : चौधरी
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मिथलेश चौधरी ने बताया, जिले में सुपोषण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं और इसी क्रम में राज्य शासन के निदेर्शानुसार अब 15 से 22 मार्च तक जिले में कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। सरकार के निर्देशानुसार साल में 2 बार कृमिमुक्ति कार्यक्रम मनाया जाता है। कार्यक्रम के अंतर्गत इस साल भी 1 से 19 वर्ष तक के बच्चों व किशोर-किशोरियों को कृमि मुक्ति हेतु एल्बेंडाजॉल दवा खिलाई जाएगी। राजनांदगांव जिले में 01 से 19 वर्ष के कुल 6,68,535 बच्चों को कृमिनाशक दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया, कृमि संक्रमण के हानिकारक प्रभाव से खून की कमी, एनीमिया, कुपोषण, भूख न लगना, जी मिचलना , उल्टी और दस्त लगना तथा वजन में कमी आना जैसी समस्या हो सकती है। बच्चों को कृमिनाशक (एल्बेंडाजॉल ) की दवा देने से उनके खून की कमी की स्थिति में सुधार होता है जिससे बेहतर पोषण स्तर, स्कूल या आंगनबाड़ी केंद्र में बेहतर उपस्थिति के साथ ही सीखने की क्षमता में सुधार लाने में मदद मिलती है। भविष्य में कार्य क्षमता और औसत आयु में बढ़ोतरी तथा वातावरण में कृमि की संख्या कम होने पर इसका लाभ पूरे समुदाय को मिलता है।
ऐसे मिलेगी एल्बेंडाजॉल की खुराक...
एल्बेंडाजॉल की खुराक किसे और कितनी मात्रा में दी जानी है, यह स्वास्थ्य विभाग ने तय कर लिया है। इसके अनुसार 1 से 2 वर्ष तक के बच्चों को एल्बेंडाजॉल की आधी गोली (200 एमजी) चूर्ण बनाकर पानी के साथ, 2 से 3 वर्ष तक के बच्चों को 1 पूरी गोली पूरी तरह से चूर्ण बनाकर पानी के साथ तथा 4 वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरी गोली (400 एमजी) चबाकर पानी के साथ सेवन कराया जाएगा। यह भी स्पष्ट किया गया है कि, एल्बेंडाजॉल की गोली बच्चों और बड़ों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। दवा खाने के उपरांत यदि कोई प्रतिकूल प्रभाव हो तो प्रबंधन के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपचार की व्यवस्था भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा रहेगी। कृमि मुक्ति दिवस पर बीमार बच्चों या पहले से कोई अन्य दवाई ले रहे बच्चों को एल्बेंडाजॉल की गोली नहीं दी जाएगी।
कृमि संक्रमण के लक्षण:
कृमि संक्रमण पनपने से बच्चे के शरीर में खून की कमी हो जाती है। वे हमेशा थकान महसूस करते हैं उनकी शारीरिक, मानसिक विकास भी बाधित होता है। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
कृमि संक्रमण से बचाव के उपाय:
नाखून साफ और छोटे रखें, हमेशा साफ और स्वच्छ पानी ही पीएं,खाने को ढककर रखें, फल व सब्जियों को साफ पानी से अच्छी तरह धोएं, घरों के आसपास साफ-सफाई रखें, खुले में शौच न करें, हमेशा शौचालय का प्रयोग करें,अपने हाथ साबुन से धोएं, विशेषकर खाने से पहले और शौच जाने के बाद।
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