जम्मू। इसे बिडंवना ही कहेंगे कि आजादी 73 साल बाद इस गांव में लोगों को बिजली मिली। आखिर क्या कारण है कि इस गांव को इतने साल तक बिजली का इं...
जम्मू। इसे बिडंवना ही कहेंगे कि आजादी 73 साल बाद इस गांव में लोगों को बिजली मिली। आखिर क्या कारण है कि इस गांव को इतने साल तक बिजली का इंतजाीर करना पड़ा। इसे सरकारी तंत्र की नाकामी कहें या यहां की भौगोलिग स्थिति इतनी कठिन है कि यहां इतने साल बाद बिजली पहुंच पाई। हम बात कर रहे हैं किश्तवाड़ जिले में चिनाब दरिया के किनारे बसे चार गांवों की। यहां के लोग आज से नई जिंदगी जीने लगे हैं। आजादी के 73 साल बाद इनके घरों में नई रोशनी आई है। सोमवार को जब बिजली का स्विच दबाया गया तो बल्ब ही रोशन नहीं हुए, बल्कि सुनहरे भविष्य के सपने के साथ चेहरे भी खिल उठे। बिजली विभाग के अथक प्रयास से इन गांवों को ग्रिड से जोड़ दिया गया है। जम्मू कश्मीर समेत देश के विभिन्न हिस्सों को रोशन करने वाली बिजली के उत्पादन का चिनाब दरिया एक बड़ा स्रोत है। किश्तवाड़ जिले में ही दुलहस्ती पनबिजली परियोजना है। इसके अलावा 850 मेगावाट की रतले परियोजना पर भी अगले कुछ दिनों में काम शुरू हो जाएगा। चिनाब दरिया पर ही बगलियार, सावलकोट और सलाल परियोजना भी है। इसके बावजूद जिले के गांव बिजली से महरूम थे।
ये हैं चार गांव
बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि किश्तवाड़ जिले के छातरु तहसील के पेठगाम, बुनगाम, चिनाब डिंडू और वतसार गांव की भौगोलिक परिस्थितियां अत्यंत कठिन हैं। यह चारों गांव साल में पांच से छह माह तक बर्फ से ढके रहते हैं। किश्तवाड़ के जिला उपायुक्त अशोक शर्मा ने सोमवार को स्थानीय लोगों की मौजूदगी में बिजली का स्विच दबाकर इन गांवों को सौ फीसद रोशन कर दिया।
उपराज्यपाल के पास पहुंचे थे ग्रामीण
गांवों के लोगों ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बिजली सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की थी। हालांकि, इन गांवों में बीते कुछ सालों से जेनरेटर सेट के जरिए रात में चंद घंटों के लिए बिजली दी जा रही थी, लेकिन ग्रिड के जरिए अब बिजली मिली है। इस साल की शुरुआत में डोडा जिले के गनौरी-टैंटा गांव में बिजली पहुंचाई गई है, जबकि बीते साल कुपवाड़ा में नियंत्रण रेखा के साथ सटे गांव में ग्रिड से बिजली आपूॢत सुनिश्चित बनाई गई है।
ग्रामीणों को अब नहीं जलानी पड़ेगी लालटेन
वतसार गांव के युवा अजय ने इसके लिए केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि आज हमारे गांव में सही मायनों में बिजली पहुंची है। अब यहां दिन-रात बिजली मिलेगी। पहले हम जेनरेटर पर निर्भर थे, वह भी कुछ घंटों के लिए। बाकी रात लालटेन के सहारे रहती थी। अब लालटेन नहीं जलानी पड़ेगी।
घर ही नहीं, भविष्य भी होगा रोशन
बुनगाम के अख्तर ने कहा कि ग्रिड की बिजली से सिर्फ हमारे घर ही रोशन नहीं होंगे, बल्कि हमारा भविष्य भी रोशन होगा। हमारे बच्चे सिर्फ अब तक सिर्फ दिन के उजाले में ही पढ़ सकते थे, लेकिन अब रात के एकांत में भी अध्ययन कर सकेंगे। असुविधाओं के चलते गांव के कई बच्चे किश्तवाड़, डोडा और जम्मू में पढ़ाई करने गए हैं। अब यहां भी तरक्की और खुशहाली होगी। जेनरेटर से यहां शोर भी बहुत होता था, धुआं भी खूब निकलता था, अब इससे भी निजात मिलेगी।
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