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महामाया करखाने की ढाई करोड़ की 8434 क्विंटल शक्कर गायब, चीफ केमिस्ट बर्खास्त

दो अधिकारियों ने अन्य सहयोगियों के साथ 2017-18 में मामले को दिया था अंजाम सूरजपुर। सूरजपुर जिले के प्रतापपुर विकासखंड में स्थित मां महामाया ...

दो अधिकारियों ने अन्य सहयोगियों के साथ 2017-18 में मामले को दिया था अंजाम


सूरजपुर। सूरजपुर जिले के प्रतापपुर विकासखंड में स्थित मां महामाया शक़्कर कारख़ाना केरता में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। करीब ढाई करोड़ की 8434 क्विंटल शक्कर  गायब हो गई है। लंबी जांच के बाद हुए खुलासे में चीफ केमिस्ट और जीएम प्रशासनिक पर आरोप तय हुए हैं। इसके बाद संचालक मंडल ने चीफ केमिस्ट को बर्खास्त कर दिया है तथा दोनों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने वसूली के लिए प्रकरण उप पंजीयक सूरजपुर को भेज दिया है।बताया जा रहा है कि प्रकरण 2017-18 का है और इनके साथ अन्य कई बड़े नाम सामने आने की संभावना है जिन्होंने घोटाला करने व शक्कर खपाने में सहयोग किया था।मामले को लेकर शुगर मिल एसोसिएशन के सदस्य कुमार सिंह देव,अध्यक्ष विद्यासागर सिंह व उपाध्यक्ष जितेंद्र दुबे ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व में हुए सभी भ्रष्टाचार सामने लाते हुए जांच कराने की बात कही है।
शक्कर कारख़ाना के उपाध्यक्ष जितेंद्र दुबे द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस सत्र में उत्पादन की जा रही शक्कर और इसे गोदाम में भंडारित करने के दौरान हेरा-फेरी करने की जानकारी संचालक मंडल को पिछले कुछ दिनों से मिल रही थी। इसी को संज्ञान में लेते हुए दिनांक 8 फरवरी 21 को संचालक मंडल ने अपनी 47 वीं बैठक में मामले की जांच कराने के लिए प्रस्ताव पारित किया, जिसके अनुशरण में  गोदामों में भंडारित शक्कर की बोरी की गणना के लिए एक दल का गठन किया गया। इस दल में सीआर नायक सहायक अभियंता, रोहित सोनी मैनुफैक्चरिंग केमिस्ट, राजेश शर्मा केन यार्ड सुपरवाईजर, नंदू राम सेक्यूरिटी गार्ड ने दो अलग अलग गोदाम में शक्कर की बोरियों की गणना करते हुए भौतिक सत्यापन किया तो पुराने भंडारण में 5026 क्विंटल व स्थाई गोदाम में 7546.50 कुल 12572.50  क्विंटल शक्कर की बोरी कम पाई गई। इसमें जब पूरे मामले को खंगाला गया तो यह भी चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि इसमें मुख्य रसायनज्ञ मनोज कुमार पाढ़ी द्वारा लगभग 4138.50 क्विंटल शक्कर को रिप्रोसेसिंग के लिए लाना बताया गया है, जिसका सही तरीके से न तो लेखा- जोखा है और न ही संतोषजनक दस्तावेज तैयार किया गया है। यदि उक्त मात्रा को रिप्रोसेसिंग के लिए लाना मान भी लिया जाए तो दोनों गोदाम में कुल 8434 क्विंटल शक्कर की बोरी कम पाई गई है। इससे पहले संचालक मंडल ने इसकी जानकारी होने पर तत्काल इसे संज्ञान में लेते हुए गोदामों का भौतिक सत्यापन कराये जाने का प्रस्ताव लेते हुए एक दल का गठन कर दिया और लगातार गणना के बाद अंतत: गणना दल ने अपना प्रतिवेदन संचालक मंडल के समक्ष प्रस्तुत कर दिया, जिसके अनुसार लगभग ढाई करोड़ की शक्कर गोदाम से गायब थी, जिसको देखकर संचालक मंडल ने आकस्मिक बैठक करते हुए मुख्य रसायनज्ञ मनोज कुमार पाढ़ी को बर्खास्त करने का प्रस्ताव पारित करते हुए  उनके साथ जीएम प्रशासनिक के विरुद्ध वसूली व आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के लिए  उपपंजीयक सहकारी सेवाएं सूरजपुर को पत्र लिखा है। कहा जा रहा है कि मामले में अभी और कई बड़े नामों का खुलासा हो सकता है जिन्होंने घोटाला करने के साथ शक्कर खपाने में सहयोग किया है।
हुए हैं कई घोटाले, सभी पर होगी कार्रवाई: कुमार सिंह देव
करोड़ों की शक्कर गायब होने के मामले में सुगर मिल एसोसिएशन के सदस्य कुमार सिंह देव ने कहा कि हमारी सक्रियता से बड़ा घोटाला सामने आया है। ऐसा केवल एक मामला नहीं है बल्कि संचालक मंडल के चुनाव से पहले भ्रष्टाचार का बोलबाला था और दस सालों में करोड़ों के घोटाले हुए हैं। सभी मामलों की जांच कराने की तैयारी है, कई मामलों में जांच हो भी रही है, जो जो दोषी सामने आएगा, सभी के विरुद्ध कार्यवाही होगी।इस मामले में भी कई बड़े नाम सामने आने की संभावना है, आरोपी कोई भी होगा,बक्शा नहीं जाएगा क्योंकि यह कारखाना और किसानों के हित का सवाल है।
कारख़ाना और किसानों का हित हमारी जवाबदारी: विद्यासागर
कारख़ाना के अध्यक्ष विद्यासागर सिंह ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता व जवाबदारी कारख़ाना व किसानों का हित है और इनके हितों के सामने कोई समझौता नहीं हो सकता है। जैसे ही हमारे सामने शक्कर गायब होने की बात आई, हमने जांच टीम बना दी थी और बड़ा घोटाला सामने आया भी, यह हमारी उस सोच का परिणाम भी कहा जा सकता है जो कारख़ाना व किसानों के लिए है।हम यहां लगातार बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं, इनका असर दिखा भी है और भविष्य में कई बड़े काम दिखेंगे जिनसे किसानों व कारख़ाना का भला होगा।
निर्धारित पंजी, नियमों की अनदेखी से मंशा संदिग्ध : एमडी
कारखाना के प्रबंध संचालक ने कहा कि गठित जांच दल ने गोदामों के भौतिक सत्यापन में 8434 क्विंटल शक्कर कम मिलने का प्रतिवेदन दिया है। जिसके लिए न्यायालय उपपंजीयक सूरजपुर को पत्र प्रेषित कर अग्रिम कार्रवाई की मांग की गई। पूरे मामले में गोदामों में शक्कर के भंडारण में अनियमितता के साथ नियमानुसार निर्धारित पंजी का संधारण नहीं किये जाने का भी प्रतिवेदन प्राप्त हुआ है। इसमें रिप्रोसेसिंग के लिए गोदाम से शक्कर उठाव भी निर्धारित नियम व प्रामाणिक पंजी से नहीं किया गया है, जो घोर अनियमितता है। पूरे मामले से उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है, आगे जैसा निर्देश होगा उसके अनुरूप कार्य किया जाएगा।
कराई रिप्रोसेसिंग और बता  दिया नवीन उत्पादन
मिली जानकारी के अनुसार रिप्रोसेसिंग हेतु संचालक मण्डल की अनुमति के बाद ही रिप्रोसेसिंग की जाती है लेकिन चीफ केमिष्ट मनोज कुमार पाढ़ी के द्वारा बगैर संचालक मण्डल की अनुमति लिये ही रिप्रासेंसिंग की कार्यवाही की गयी। रिप्रोसेंसिंग हेतु शक्कर जो मुख्य रसायनज्ञ के द्वारा प्राप्त किया गया है वह बिना वजन कराये प्राप्त किया गया है,उनके द्वारा सिर्फ बैग का नंबर अनियमित पंजी में दर्ज कर प्राप्त किया गया है। अनियमित पंजी या नियम विरुद्ध प्राप्त शक्कर कुल 4138. 5 क्विंटल प्राप्त किया जाना पंजी में दिखाया गया है। रिप्रासेसिंग हेतु दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 तक शक्कर पुराने गोदाम से लाना बताया गया है जिसका उसी समय उत्पादन से कम कर पुन: वापस शक्कर नहीं भेजा गया है। उक्त रिप्रोसेसिंग को नये उत्पादन में दिखाया गया है जो अनियमितता की श्रेणी में आता है।
शक्कर कारखाना भ्रष्टाचार के कारण हमेशा रहता है सुर्खियों में
शक्कर कारख़ाना भ्रष्टाचार के कारण हमेशा चर्चाओं में रहा है, संचालक मंडल के चुनाव से पहले हर साल 5 करोड़ से ज्यादा के घोटाले की आशंका व्यक्त की जाती रही है, कोई न कोई विवाद भी सामने आता रहा है। बिना टेंडर निर्माण व खरीदी, कागजों में खरीदी, मशीन सप्लायर को गलत तरीके से भुगतान, ट्रांसपोर्टिंग में घपला, फर्जी अनुभव प्रमाणपत्रों के मामले, कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितता, बिना टेंडर व आबकारी विभाग की एनओसी के बिना मोलाशीष की बिक्री, शक्कर चोरी सहित कई मामले है जिनमें जमकर भ्रष्टाचार किया गया था। कई लोगों के विरुद्ध वसूली के प्रकरण हैं जिन्हें दबाकर कर रखा गया है। कहा जा रहा है कि कई मामलों की अंदरूनी जांच भी चल रही है तथा धीरे धीरे सभी घोटाले सामने लाये जाएंगे व नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
हमेशा रहे हैं विवादों में, वसूली के मामले में हो चुका है अपराध दर्ज
चीफ केमिस्ट के तौर पर मनोज पाढ़ी हमेशा विवादों में रहे हैं, मोलाशीष बहाना, केमिक्लव अन्य सामग्री की खरीदी सहित कई मामलों में उन पर आरोप लगते रहे हैं लेकिन राजनीतिक व प्रशासनिक संरक्षण के कारण बचा लिए जाते थे। पिछले साल कर्मचारियों से वसूली के मामले में उन पर खडग़वांकला चौकी में अपराध दर्ज हो चुका है तथा अग्रिम जमानत पर हैं। दोबारा कारखाना में काम करने के लिए उनके द्वारा फरारी में रहने की बातें छिपा मेडिकल लीव में होने की जानकारी दिए जाने की बातें कहीं जाती हैं जो भी आपराधिक कृत्य था और उस समय के एमडी पर सहयोग के आरोप लगे थे।

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