नई दिल्ली। इतिहास के पन्नों में ऐसे कई राजाओं का जिक्र मिलता है, जिनके पास दौलत के अथाह भंडार थे। कई राजा तो ऐसे थे, जिनकी संपत्ति का अंदाजा...
नई दिल्ली। इतिहास के पन्नों में ऐसे कई राजाओं का जिक्र मिलता है, जिनके पास दौलत के अथाह भंडार थे। कई राजा तो ऐसे थे, जिनकी संपत्ति का अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल था। कुछ इसी तरह के टिम्बकटू के राजा मनसा मूसा प्रथम थे। वर्तमान समय में टिम्बकटू अफ्रीकी देश माली का एक शहर है। मूसा ने माली की सल्तनत पर उस समय हुकूमत किया था, जब वहां सोने के भंडार हुआ करते थे। ऐसा कहा जाता है कि इस राजा के शासन काल में करीब 1,000 किलो सोने का उत्पादन होता था। दरअसल, मनसा मूसा का असली नाम मूसा कीटा प्रथम था। लेकिन राजा बनने के बाद वो मनसा कहलाए। मनसा का मतलब बादशाह होता है। मूसा की सल्तनत इतनी बड़ी थी कि इसके अंतिम छोर के बारे में अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था। आज के मॉरीटानिया, सेनेगल, गांबिया, गिनिया, बुर्किना फासो, माली, नाइजर, चाड और नाइजीरिया तब मूसा की सल्तनत का हिस्सा हुआ करते थे।
1312 ईस्वी में मनसा मूसा माली साम्राज्य का शासक बना था। करीब 25 साल के अपने शासनकाल में उसने कई मस्जिदों का निर्माण कराया था, जिनमें से कई तो आज भी मौजूद हैं। टिम्बकटू का जिंगारेबेर मस्जिद मनसा मूसा के दौर में बनी उन्हीं मस्जिदों में से एक है।
मनसा मूसा से जुड़ी एक कहानी दुनियाभर में काफी मशहूर हैं। 1324 ईस्वी में मनसा मूसा मक्का की यात्रा पर निकले थे। इस दौरान उनके काफिले में करीब 60 हजार लोग शामिल थे, जिनमें से 12 हजार तो केवल उनके निजी अनुयायी थे। इसके अलावा मनसा मूसा, जिस घोड़े पर सवार थे, उससे आगे 500 लोगों का एक दस्ता था और सबके हाथ में सोने की एक-एक छड़ी थी।
मनसा मूसा के इस काफिले में 80 ऊंटों का एक जत्था भी था और हर ऊंट पर 136 किलो सोना लदा था। कहा जाता है कि मनसा मूसा इतने उदार थे कि जब वो मिस्र की राजधानी काहिरा से गुजरे, तो वहां उन्होंने गरीबों को इतना दान दे दिया कि उस इलाके में बड़े पैमाने पर महंगाई बढ़ गई थी।
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