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संरक्षित जनजातियों की जमीन का मामला लेकर हाईकोर्ट जाएगी भाजपा

खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के बेटे पर धोखे से जमीन लिखाने का आरोप रायपुर।  खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत के बेटे आशीष भगत पर जशपुर की एक...

खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के बेटे पर धोखे से जमीन लिखाने का आरोप


रायपुर।  खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत के बेटे आशीष भगत पर जशपुर की एक सरंक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा के पांच परिवारों की जमीन धोखे से लिखा लेने का आरोप लगा है। इस मामले में आंदोलित भाजपा ने प्रशासन पर शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है। पार्टी अब इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय जाने की तैयारी में हैं। वहीं मंत्री अमरजीत भगत ने कहा, उनके बेटे ने कानूनी तरीके से जमीन खरीदी थी। अब उस जमीन को वापस कर रहे हैं लेकिन भाजपा नेता भी आदिवासियों की जमीन वापस करें। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा, जशपुर जिले के मनोरा तहसील के गुतकिया गांव में पांच पहाड़ी कोरवा परिवारों की 24.88 एकड़ जमीन है। खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के पुत्र आशीष भगत ने 22 जनवरी को पटवारी और दलाल से मिलकर फर्जी तरीके से रजीस्ट्री करा लिया। भाजपा ने रायगढ़ सांसद गोमती साय की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति से मामले की जांच कराई है। इस समिति में पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल, पूर्व मंत्री गणेशराम भगत, पूर्व सांसद कमलभान सिंह भी शामिल थे। इस समिति ने जांच में पाया है, आदिवासियों से जमीन का सौदा 11 लाख रुपये में किया गया। लेकिन 6 अलग-अलग चेक से 10 लाख 50 हजार रुपये का ही भुगतान किया गया है। यह चेक अभी भी उन परिवारों के पास पड़ा हुआ है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्यपाल तक शिकायतें हुई हैं। उसके बाद भी सरकार ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने कहा, यह आपराधिक षड़यंत्र है। उन्होंने कहा, भाजपा सड़क की लड़ाई लड़ते हुये इस मामले को हाईकोर्ट तक ले जाकर उन्हें न्याय दिलाने का प्रयास करेगी।

भगत ने कहा, उनके बेटे ने कुछ भी आपत्तिजनक नहीं किया

भाजपा के आरोपों पर खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा मेरे बेटे ने जो भी संपत्ति खरीदी है वो विधिवत और न्यायसंगत है। आदिवासी की जमीन आदिवासी खरीद सकता है। इसमें आपत्तिजनक कुछ भी नहीं है। जिन्होंने जमीन बेची है उनका नाम विशेष संरक्षित जनजातियों की सूची में नहीं है। कलक्ट्रेट में इसकी सूची लगी हुई है। संपत्ति की खरीदी भी बैंक खातों के जरिये हुआ है। इसलिये इसमें किसी प्रकार की अनियमितता का सवाल ही नहीं उठता।

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