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रेंजर समेत पांच वनकर्मी थे वाहन में सवार, हाथियों ने रोक ली गाड़ी

कोरबा ।  कटघोरा वन मंडल में हाथियों की चहलकदमी से इलाके के ग्रामीण खौफजदा है। वहीं उनकी निगरानी करने वाले वनकर्मी भी सुरक्षित नहीं हैं। जंगल...


कोरबा ।  कटघोरा वन मंडल में हाथियों की चहलकदमी से इलाके के ग्रामीण खौफजदा है। वहीं उनकी निगरानी करने वाले वनकर्मी भी सुरक्षित नहीं हैं। जंगली इलाके में पेट्रोलिंग के दौरान वनकर्मी कई बार मुसीबत में फंस जाते हैं। बीते दिनों कुछ ऐसी ही घटना सामने आई है। रात करीब साढ़े बारह बजे का वक्त था। जंगल के बीच वनअमले की गाड़ी के सामने एकाएक हाथियों का दल आ धमका। हाथियों को इतने नज़दीक देखकर सभी के हाथ पांव फूल गए। हालांकि समय रहते चालक ने गाड़ी बैक कर ली। जिससे कोई अनहोनी नहीं हुई।
कटघोरा वनमंडल के पसान और आसपास के इलाके में पिछले कई महीने से हाथियों का दल विचरण कर रहा है। अलग-अलग समूह में हाथी का मूवमेंट है। जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। हाथियों का उत्पात जारी है। अनाज को नुकसान पहुंचाने के साथ ही लगातार मकानों को तोडऩे की खबर सामने आती रही है। हाथियों की चहलकदमी को देखते हुए कटघोरा डीएफओ शमा फारुखी ने रेंज अफसरो को मुस्तैद रहने के निर्देश जारी कर दिया है। यही वजह है हाथियों की निगरानी के लिए वनअमला दिन रात मेहनत कर रहा है। ऐतमानगर परिक्षेत्र के रेंजर शहादत खान को मड़ई के समीप हाथियों के मूवमेंट की सूचना मिली थी। देर रात शहादत खान अपनी टीम के साथ मड़ई के समीप के जंगल से गुजर रहे थे। इसी दौरान जंगल से एक के बाद एक हाथी का समूह गाड़ी के सामने आ धमका। कुछ देर के लिए तो वन कर्मी सन्न रह गए, मौत को सामने देखकर सभी के हाथ पांव फूल गए। तभी वाहन चालक ने समझदारी दिखाते हुए गाड़ी को बैक किया और सायरन बजाने लगा, काफी देर बाद हाथियों का दल जंगल की ओर चला गया। तब वन अमले ने राहत की सांस ली।
रेंजर शाहरुख खान ने बताया कि रेंज में 20 से अधिक हाथियों का दल विचरण कर रहा है। हाथी तीन समूह में अलग-अलग क्षेत्र में घूम रहे है। जिसमें दो दंतैल और तीन बेबी एलीफेंट भी शामिल है। हाथियों की चहलकदमी से दर्जन भर गांव प्रभावित है। जिसमे सालिहा भाठा, गुर्सिया,जटगा, रावणभाठा, बोदरादाड, सहिलभाठा, कोदवारी, कट मोरगा, खोरंगा, मड़ई, रिंगनिया शामिल है।
पसान और ऐतमानगर इलाके के जंगलों में हाथियों का डेरा है। दिन को हाथी जंगल के भीतर ही रहते है। लेकिन शाम ढलते ही उनका मूवमेंट शुरू हो जाता है। हाथी गांव के नजदीक आ जाते है। पिछले कई महीनों से इलाके के ग्रामीण दहशत में है।शाम ढलते ही क्षेत्र में वीरानी छा जाती है, लोग रतजगा करने को मजबूर है। इतना ही नहीं सालिहा भाठा, गुरसिया, जटगा की सड़क रात के वक्त ब्लॉक कर दिया जाता है। जंगल और जंगली जानवरों की सुरक्षा करने के लिए वन विभाग के कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालने से भी परहेज नहीं करते। जंगल में लगी आग को काबू करने की बात हो या फिर रात के घनघोर अंधेरे में जंगल के बीच हाथियों की निगरानी करनी हो, वनवासियों को जंगली खतरे से बचाने वनकर्मी हमेशा मुस्तैद रहते है। ऐतमा रेंज के परिक्षेत्र अधिकारी शहादत खान ने बताया कि पिछले कई महीनों से जंगल में हाथियों ने डेरा जमाया हुआ है। जिसकी निगरानी करना बड़ी चुनौती है। लेकिन वन कर्मचारी जान जोखिम में डालकर कार्य कर रहे है।

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