महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने की सुनवाई छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने शुक्रवार को शास्त्री चौक रायपुर स...
महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने की सुनवाई
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने शुक्रवार को शास्त्री चौक रायपुर स्थित आयोग कार्यालय में महिलाओं से सम्बंधित प्रकरणों की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान प्रस्तुत प्रकरण में आवेदिका ने शिकायत की कि उसके पति ने बिना तलाक लिये सखी सेंटर कोण्डागांव की केन्द्र प्रशासिका से दूसरा विवाह कर लिया है। सखी सेंटर की प्रशासिका पद पर पदस्थ रहते अनावेदिका ने आवेदिका के मामले में कार्यवाही करने के स्थान पर जानबूझकर धोखाधड़ी कर दस्तावेज गायब किया। केन्द्र प्रशासिका ने आयोग के समक्ष स्वीकार किया कि उसने अनावेदक से दूसरा विवाह किया है। आवेदिका की शिकायत सही पायी गयी ऐसी दशा में आयोग ने महिला बाल विकास की सचिव को केन्द्र प्रशासिका के खिलाफ कार्यवाही किये जाने की अनुशंसा की है।
आपसी सहमति से तलाकनामे और अंतिम भरण-पोषण की राशि देने की सहमति दी
दो अन्य प्रकरणों में दोनों पक्षकारों ने आपसी सहमति से तलाकनामे और अंतिम भरण-पोषण की राशि देने की सहमति दी और विधिवत दोनों पक्ष न्यायालय में तलाक का आवेदन प्रस्तुत करने हेतु सहमत हुए। आयोग के समक्ष आवेदिका को समाज से बहिष्कृत कर दिये जाने के एक प्रकरण में अनावेदकगणों ने आवेदिका को गांव, समाज से बहिष्कृत करने के आरोप से इनकार करते हुए कहा कि इस संबंध में कोई बैठक नहीं हुई है। इस पर अनावेदकगणों को आवेदिका के बेटी के वैवाहिक कार्यक्रम में कोई रोक नहीं लगाने और किसी तरह से दुर्व्यवहार नहीं करने की समझाईश दी गई। आवेदिका को भी सबसे मिल-जुलकर रहने हेतु समझाकर प्रकरण का निराकरण किया गया।
आवेदिका ने 181 की प्रभारी के विरुद्ध शिकायत की
एक प्रकरण में आवेदिका ने 181 की प्रभारी के विरुद्ध शिकायत की है। प्रभारी का ने बताया कि 181 का संचालन ट्रस्ट का मैनेजमेंट करता है। इस पर अनावेदिका को आगामी सुनवाई में ट्रस्ट के वरिष्ठ पदाधिकारी को उपस्थित कराने या आयोग को कर्मचारी का नाम देने कहा गया ताकि विधिवत तरीके से कार्यवाही किया जा सके। अनावेदिका को यह भी समझाया गया कि इस प्रकरण के निराकरण तक आवेदिका के विरूद्ध कार्यवाही नहीं करें। आवेदिका को भी विभागीय आदेशों के पालन और किसी भी तरह की शिकायत होने पर ट्रस्ट को मेल के माध्यम से आपत्ति दर्ज कराते हुए एक प्रति आयोग में भेजना सुनिश्चित करने कहा गया।
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