नई दिल्ली। भारत में मैला ढोने की कुप्रथा अब भी जारी है। कुछ प्रदेशों में यह बदस्तूर चरल रही है। वहीं कुछ स्थानों पर आज भी मैला ढोने के लिए ...
नई दिल्ली। भारत में मैला ढोने की कुप्रथा अब भी जारी है। कुछ प्रदेशों में यह बदस्तूर चरल रही है। वहीं कुछ स्थानों पर आज भी मैला ढोने के लिए लोगों को मजबूर किया जाता है। इसको लेकर फिल्में भी बन चुकी हैं पर स्थिति नहीं सुधर रही है। यही मामला आज रज्यसभा में उठाया गया। राज्यसभा में मंगलवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने हाथ से मैला ढोने और कचरा साफ करने की कुप्रथा, ओडिशा के संबलपुर रेलवे स्टेशन को बंद करने, कृषि क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को किसान की मान्यता देने और कोविड-19 से संबंधित जैव चिकित्सकीय कचरों के प्रबंधन का मामला उठाया गया। साथ ही इनके समाधान के लिए समुचित कार्रवाई की मांग की गई। राज्यसभा में शून्यकाल में समाजवादी पार्टी की जया बच्चन ने हाथ से मैला ढोने और कचरा साफ करने की कुप्रथा का मुद्दा उठाया और कहा कि यह मामला कई बार संसद में उठा, लेकिन आज भी उनकी परिस्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। जया ने कहा कि शर्म आती है कि हम चांद और मंगल पर जाने की बात करते हैं और सदन में इस मुद्दे पर चर्चा करनी पड़ रही है।
-नारेबाजी से नहीं चलेगा काम
उन्होंने कहा कि क्यों हम अभी तक उन्हें सुरक्षा नहीं दे पाए हैं? विकास के बड़े-बड़े दावे होते हैं और चंद्रमा और मंगल पर पहुंचने की बात होती है, लेकिन यह प्रथा अभी तक यह समाप्त नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि इससे होने वाली मौतें देश के साथ ही सदन में बैठे सांसदों के लिए भी शर्मिंदगी का विषय है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। जया बच्चन ने कहा कि सिर्फ नारेबाजी से काम नहीं चलेगा, काम करने से होगा। रेलवे में इसी प्रकार की समस्या है और रेल मंत्रालय को इस पर ध्यान देना चाहिए।
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