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उच्च न्यायालय ने महाकुंभ में केंद्र की ओर से जारी एसओपी का सख्ती से पालन के दिये निर्देश

aber अबेर न्यूज नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने महाकुंभ में श्रद्धालुओं को लेकर बरती जाने वाली नरमी के खिलाफ प्रदेश सरकार को केंद्र व रा...


aber अबेर न्यूज नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने महाकुंभ में श्रद्धालुओं को लेकर बरती जाने वाली नरमी के खिलाफ प्रदेश सरकार को केंद्र व राज्य सरकार की ओर से जारी अलग-अलग विशेष मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिये हैं। अदालत ने श्रद्धालुओं के लिये कोरोना जांच रिपोर्ट की अनिवार्यता का भी पालन करने को कहा है।

मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान की अगुवाई वाली पीठ में बुधवार को कोरोना महामारी को लेकर दायर विभिन्न जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। अदालत ने देश में फैल रही कोरोना महामारी की दूसरी लहर को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि संकट के समय में देश व प्रदेश की जनता के साथ ही कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा जरुरी है। अदालत ने यह भी कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में महामारी तेजी से फैल रही है। यहां तक कि उत्तराखंड में भी कोरोना वायरस के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। अदालत ने प्रदेश सरकार को भी निर्देश दिये कि सरकार एसओपी के पालन में ढिलाई न बरते। प्रदेश के मुख्य सचिव ओम प्रकाश, वित्त व स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी, मेला अधिकारी दीपक रावत के अलावा पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) कुंभ संजय गुंज्याल वचरुअल माध्यम से अदालत में पेश हुए। मुख्य सचिव की ओर से अदालत को अंडर टेकिंग दी गयी कि कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी को लेकर जारी एसओपी व दिशा निदेर्शों का सख्ती से पालन कराया जायेगा। मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि कुंभ के आयोजन के लिये धन की कमी नहीं है।

अदालत ने मेला प्रशासन को भी निर्देश दिये कि घाटों पर ढांचागत व चिकित्सा सुविधाओं के अलावा सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये जायें। आईजी कुंभ को कहा कि महिला घाटों पर महिला सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाए। अदालत ने साफ साफ निर्देश दिये कि घाटों पर महिलाओं की निजता के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। उन्होंने इस मौके पर वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी करने वालों के खिलाफ सख्ती बरतने को कहा है। अदालत ने शौचालयों में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखने को कहा है। यही नहीं अदालत ने हर की पैड़ी पर इंतजामों को लेकर मेला अधिकारी दीपक रावत की तारीफ भी की।

याचिकाकर्ता सचिदानंद डबराल की ओर से अदालत को बताया गया कि हरिद्वार के अलावा ऋषिकेश, मुनि की रेती, तपोवन व स्वर्गाश्रम जैसे कुंभ क्षेत्रों में घाटों की स्थिति खराब है। घाटों पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। चेंजिंग रुम व शौचालय की व्यवस्था नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा कि मेला क्षेत्र में बनाये गये चिकित्सालयों में अभी व्यवस्थायें दुरुस्त नहीं हो पायी हैं।
आॅक्सीजन सिलेंडर व वेंटिलेटर स्थापित नहीं हो पाये हैं। रैम्प व लिफ्ट की सुविधा नहीं है। सड़कों व संपक मार्गों पर दुकानदारों की ओर से अतिक्रमण किया गया है। इसके बाद अदालत ने मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी को निर्देश दिये कि वह मेला अधिकारी के साथ हरिद्वार का संयुक्त निरीक्षण करे। साथ ही मेला अधिकारी को निर्देश दिये कि 30 मार्च तक रिपोर्ट अदालत में पेश करें।


अदालत ने मेला अधिकारी दीपक रावत व आईजी कुंभ को 31 मार्च को अदालत में वचरुअली पेश होने के निर्देश दिये हैं। इससे पहले आईजी की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रदेश में 20 हजार सुरक्षा अधिकारी व कर्मचारी मेले की सुरक्षा कमान संभालेंगे। इनमें पुलिस जवानों के अलावा पीएसी, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), यूपी पीएसी, प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के होमगार्ड के जवान शामिल हैं। यही नहीं हरियाणा व हिमाचल प्रदेश से भी सुरक्षा कर्मी महाकुंभ की सुरक्षा के लिये भेजे जा रहे हैं। कुछ स्पेशल पुलिस आॅफिसर भी तैनात किये जा रहे हैं। यहां ध्यान दिला दें कि अदालत का निर्देश ऐसे समय आया है जब राज्य सरकार प्रदेश में महाकुंभ में श्रद्धालुओं के प्रवेश व कोरोना जांच रिपोर्ट की अनिवार्यता को लेकर नरमी के संकेत दे चुकी है।

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