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इरा के हौसले को देश का सलाम : शारीरिक अक्षमता को पीछे छोड़ किया चुनौतियों का सामना

इरा सिंघल ने यूपीएससी में दिव्यांग श्रेणी में प्रथम स्थान लाकर मनवाया प्रतिभा का लोहा नई दिल्ली। स्कोलियोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसके होने से...


इरा सिंघल ने यूपीएससी में दिव्यांग श्रेणी में प्रथम स्थान लाकर मनवाया प्रतिभा का लोहा


नई दिल्ली। स्कोलियोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसके होने से प्रशासनिक सेवा में जाने का रास्ता संकरा हो जाता है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) इससे पीडि़त अभ्यर्थियों को सिर्फ आईएएस बनने की इजाजत देता है। इस चुनौती को स्वीकार कर दिल्ली निवासी इरा सिंघलने 2014 में सिविल सेवा में पहला स्थान हासिल किया। इरा फिलहाल केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में संयुक्त निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। वह मंत्रालय की ब्रांड एंबेसडर भी हैं। साथ ही प्रत्येक उस महिला के लिए आदर्श हैं, जो अपनी चुनौतियों के आगे खुद को साबित करने में कमजोर महसूस करती हैं। इरा ने बताया कि उसे स्कोलियोसिस की बीमारी है। यह बीमारी रीढ़ की हड्डी से जुड़ी हुई है। यूपीएससी की सूची में सामान्य श्रेणी में इस बीमारी के लिए सिर्फ एक ही पद है और वह भी सिर्फ भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए रखा गया है। इस कारण प्रशासनिक सेवा से जुड़कर समाज की सेवा करना और मुश्किल था। सिंघल ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2010 में ही सिविल सेवा जैसी कठिन परीक्षा पास कर ली थी।
इसके बाद उनका भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के लिए चयन हुआ। लेकिन उक्त बीमारी से पीडि़त होने की वजह से उसे सेवा के लिए मना कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2011 में फिर परीक्षा दी। एक बार फिर आईआरएस के लिए चयन हुआ, लेकिन पेच फिर वही पर आकर फंस गया। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक प्राधिकरण (कैट) में मामला डाल दिया और अपनी तैयारी जारी रखी। वर्ष 2013 में एक बार फिर परीक्षा दी और इस बार भी आईआरएस के लिए चयन हुआ। वह बताती हैं कि उन्हें एक बार तो लगा कि उनके जीवन में आईआरएस की सेवा ही लिखी है, लेकिन वह नहीं रुकी और एक बार फिर परीक्षा के लिए बैठी। इस बार वर्ष 2014 में उन्होंने परीक्षा दी और देश की सबसे कठिन परीक्षा में सर्वोच्च स्थान लाकर यूपीएससी को आईएएस की नौकरी देने के लिए अपना लोहा मनवाया। सिंघल ने बताया कि आईएएस में चयन होने तक कैट में चल रहे उनके मामले का फैसला भी आ चुका था। फैसले में कैट ने उन्हें आईआरएस सेवा के लिए योग्य ठहराया था। हालांकि, तब तक प्रशासनिक में आकर समाज सेवा करना का सपना पूरा हो चुका था।
मिला राष्ट्रपति से मेडल, बनी मंत्रालय की ब्रांड एंबेसडर
यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में पहला स्थान लाने के लिए ईरा सिंघल को राष्ट्रपति मेडल से नवाजा गया। साथ ही उसने लिम्क बुक ऑफ रिकॉड्र्स में भी नाम दर्ज करवाया। वर्तमान में वह सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय की ब्रांड एंबेसडर भी हैं। इस वक्त वह हजारों की संख्या में लड़कियां व महिलाएं उनके मार्गदर्शन में आगे बढ़कर समाज के तानेबाने को तोड़ रही हैं।

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