रायपुर। माओवादी विचारधारा से त्रस्त होकर मुख्य धारा में लौटे आत्मसमर्पित नक्सलियों के जीवन में बदलाव आने लगा है। शासन की आत्मसमर्पण नीति स...
रायपुर। माओवादी विचारधारा से त्रस्त होकर मुख्य धारा में लौटे आत्मसमर्पित नक्सलियों के जीवन में बदलाव आने लगा है। शासन की आत्मसमर्पण नीति से जहां उन्हें कष्टदायक, शोषण और अपराध से मुक्ति मिली तो वहीं इनके जीवन में खुशियों की बहार आने लगी है। पुलिस प्रशासन की पहल से मुख्यधारा में लौटे ऐसे ही छह आत्मसमर्पित नक्सलियों की जिंदगी में भी खुशी के पल आएंगे।दरअसल आत्मसमर्पण करने वाले छह नक्सलियों की नसबंदी को पुलिस ने खुलवा दिया है, जिससे वे पिता बन सकेंगे। छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में छह नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। इस दौरान सभी ने सुकमा के पुलिस अधीक्षक केएल ध्रुव को अपनी आपबीती सुनाई थी कि माओवादी संगठन में काम करते समय नक्सलियों ने उनकी नसबंदी करा दी है। इसकी वजह से वे पिता बनने के सुख से वंचित हो गए हैं। परिवार भी मानसिक परेशानी के दौर से गुजर रहा है। इस पर एसपी ने शासन की योजनाओं का लाभ दिलाते हुए उनकी नसबंदी खुलवाने के लिए पहल की। उन्होंने रायपुर के एक अस्पताल से संपर्क कर उनका आॅपरेशन कराया। नसबंदी (नालबंदी) खुल जाने से वे बहुत खुश हैं। पुलिस की लोन वरार्टू योजना के तहत कई नक्सली मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आत्मसमर्पण कर चुके हैं। विकास पहुंचने की वजह और पुलिस तथा सुरक्षाबलों की मुस्तैदी के कारण छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियों में काफी कमी आई है। नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस कई तरह के सामाजिक कार्यक्रम भी चला रही है, ताकि कोई युवा मुख्यधारा से न भटके। बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा भी पुलिस अधिकारी उठा रहे हैं।
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