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होली पर नगाड़ा बजाने पर पाबंदी से ग्रामीणों में मायूसी

गुरुर। विगत दिनों जिला प्रशासन द्वारा होली को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है। जिसमें सामूहिक आयोजन सहित नगाड़ा बजाने पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इ...


गुरुर। विगत दिनों जिला प्रशासन द्वारा होली को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है। जिसमें सामूहिक आयोजन सहित नगाड़ा बजाने पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इस आदेश से खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में मायूसी छाई हुई है क्योंकि बिना नगाड़ा के ना तो होलिका दहन होता है ना होली मनाई जाती है। गांव में यह परंपरा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। जिसके चलते उक्त नियम व आदेश में संशोधन की मांग उठ रही है। खास बात यह भी है कि होलिका दहन पर या होली के बाद ग्रामीण क्षेत्र में फाग प्रतियोगिताओं व फाग सम्मेलन का आयोजन भी होता है। लेकिन उक्त आदेश में किसी तरह के आयोजन न करने की बात कही गई है। इसको लेकर भी आयोजक असमंजस में है कि हम करेंगे तो क्या करेंगे? तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र में नियम संशोधन की मांग पुरजोर से उठने लगी है।
जिला प्रशासन से मांग की जा रही है कि होली में कोरोना की रोकथाम संबंधित गाइड लाइन का पालन करते हुए नगाड़ा बजाने सहित अन्य आयोजन करने की छूट दी जाए। कुछ आयोजक समितियां इस संबंध में चर्चा के लिए एसडीएम व अन्य अधिकारियों से भी मिलकर रास्ता निकाल रहे हैं कि कैसे हम आयोजन करें कि सरकार के निर्देशों का भी पालन हो जाए।
गांव में छाई मायूसी
जिला प्रशासन के आदेश से ग्रामीण क्षेत्रों में मायूसी छाई हुई है। कुछ गांव ऐसे हैं जो नगाड़े को काफी महत्व देते हैं और होली के 1 हफ्ते पहले से ही वहां की टोली नगाड़ा बजाने में मस्त हो जाती है। लेकिन पहली बार नगाड़े पर पहले से ही प्रतिबंध संबंधित आदेश जारी होने से उन गांव में मायूसी छा गई है।
खासकर वनांचल के गांव में नगाड़ा बजाने की परंपरा पखवाड़े भर पहले से शुरू हो जाती है। रोज रात को मंडली नगाड़ा लेकर  किसी चौक चौराहे पर बैठती है और फिर फाग गीत गाकर वे फागुन का स्वागत करते हैं। पर इस बार नगाड़ा पर प्रतिबंध के चलते मंडलियों में मायूसी छा गई है।
कार्यक्रम को लेकर आयोजक भी समंजस में
ज्ञात हो कि हर साल होलिका दहन व होली के बाद होली मिलन समारोह के रूप में फाग सम्मेलन या फाग प्रतियोगिता का आयोजन भी कई गांव में होता है। फाग की परंपरा को बचाए रखने के लिए ये आयोजन भी महत्वपूर्ण माना जाता है और इसके लिए पहले से ही आयोजक तैयारी में जुट जाते हैं। 1 माह पहले से ही मंडलियों की बुकिंग हो जाती है कि किस दिन उन्हें कहां प्रस्तुति देनी है। हर चौथे पांचवें गांव में आजकल फाग सम्मेलन का आयोजन होने लगा है। इस बार भी पहले से ही आयोजक समिति ने तारीख तय कर रखे हैं। कई जगह होलिका दहन के दिन आयोजन होना है तो कई जगह होली के दूसरे दिन। पर सामूहिक आयोजन न करने का आदेश जारी होने से उक्त आयोजक समितियां असमंजस में है कि हम आयोजन निरस्त करें या तारीख आगे बढ़ाए। कुछ  आयोजकों का कहना है कि जो प्रतिबंध संबंधित आदेश जारी हुआ है वह होलिका दहन व होली  के दिन के लिए है। इसलिए वे उस दिन को छोड़कर बाकी दिनों में आयोजन करने की तैयारी भी कर रहे हैं। ताकि जो मंडलियों की बुकिंग हो गई है वह प्रस्तुति भी दे और दर्शक फाग सम्मेलन का आनंद भी ले सके। आयोजक समितियों का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग सामाजिक दूरी का पालन करते हुए हम आयोजन करने को तैयार हैं।
आयोजक समितियां जिला प्रशासन से मांग कर रही है कि इस संबंध में बीच का रास्ता निकाला जाए। जारी आदेश में समितियों के विरुद्ध नियम का पालन ना कर आयोजन करने पर कार्यवाही की भी बात कही गई है। इससे समिति असमंजस में है कि हम आयोजन करें या ना करें? आदेश के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर सामूहिक होली मिलन समारोह नगाडा बजाना प्रतिबंधित किया गया है होलिका दहन कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग मास्क व सेनेटाइजर का उपयोग करना अनिवार्य होगा अन्यथा समिति प्रबंधक संचालक के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाएगी तो वही होली त्यौहार पर समूह में 5 से अधिक लोगों का एक साथ घूमना भी प्रतिबंधित किया गया है। सामूहिक भोज का आयोजन भी प्रतिबंधित है।
बाजार पर भी पड़ेगा खासा असर
इस आदेश से कुल मिलाकर होली ना मना पाने की स्थिति बन गई है। तो वहीं इस आदेश से होली से संबंधित बाजार पर भी बुरा असर पडऩे वाला है। जिसको देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में भी मांग उठ रही है कि आदेश में संशोधन किया जाए। नगाड़ा नहीं  बजाना है इस आदेश से नगाड़े के कारोबार भी असर पड़ रहा है। नगाड़ा बेचने वालों का कहना है कि हम पहले से ही नगाड़ा तैयार कर लिए हैं और बिक्री के लिए बाजार में भी आ चुके हैं। पर अब  जिला प्रशासन ने आदेश  दिया है नगाड़ा नहीं बजाना है। ऐसे में खरीदार भी नहीं आ रहे हैं। इससे उन नगाड़ा व्यवसायियों को लाखों तक का नुकसान हो गया है। साल भर में यह उनके कारोबार का इकलौता सीजन आता है। उस पर भी आदेश से ग्रहण लग गया है। ग्रामीण सहित आयोजक समिति जनप्रतिनिधियों से मिलकर भी इस संबंध में रास्ता निकालने की मांग कर रहे हैं।

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