रायपुर। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर पूरे प्रदेश के किसान और नागरिक-समूह कल होली में...
रायपुर। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर पूरे प्रदेश के किसान और नागरिक-समूह कल होली में कृषि विरोधी कानूनों की प्रतियों का दहन करेंगे और इन कानूनों के खिलाफ चल रहे देशव्यापी आंदोलन को तेज करने की शपथ लेंगे। छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने आज यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन काले कानूनों की वापसी तक यह आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े सभी घटक संगठन गांव-गांव में यह कार्यक्रम आयोजित करेंगे, ताकि इन काले कानूनों के दुष्प्रभावों से ग्रामीण जनता को अवगत कराया जा सके और उन्हें अपनी खेती-किसानी को बचाने और देश की अर्थव्यवस्था के कापोर्रेटीकरण को रोकने के लिए देशव्यापी संघर्ष में लामबंद किया जा सके। किसान नेताओं ने कहा है कि देश के किसानों का आम अनुभव है कि उनकी फसलों को औने-पौने भाव पर लूटा जा रहा है और उन्हें कोई कानूनी सुरक्षा प्राप्त नहीं है। मंडियों के निजीकरण और ठेका खेती से यह लूट और बढ़ेगी। इसलिए देश का किसान आंदोलन इसका विरोध कर रहा है। वह अडानी-अंबानी को देश का खाद्यान्न भंडार और अनाज व्यापार सौंपने का विरोध कर रहा है, क्योंकि इससे देश में जमाखोरी, कालाबाजारी और महंगाई तेजी से बढ़ेगी। उन्हें अपनी मेहनत का मूल्य पाने के लिए कानूनी संरक्षण की जरूरत है, इसलिए वे स्वामीनाथन आयोग के सी-2 फामूर्ले के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून के दायरे में लाना चाहते हैं। इन तीनों काले कानूनों की वापसी और एमएसपी के कानून बनाने में सीधा रिश्ता है।
किसान आंदोलन सबसे ज्यादा शांतिपूर्ण आंदोलन
किसान आंदोलन के नेताओं ने कहा कि यह देशव्यापी किसान आंदोलन आजादी के बाद का सबसे प्रखर, लोकतांत्रिक और मोदी सरकार के उकसावे के बावजूद सबसे ज्यादा शांतिपूर्ण आंदोलन है। इस आंदोलन का फैलाव देश के सभी राज्यों में हो गया है और सभी भाषा, धर्म, जातियों के लोग इसमें शामिल है। इसलिए मोदी सरकार को देश के किसानों की आवाज सुनने की जरूरत है। छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े सभी घटक संगठन कल होली में इन काले कानूनों की प्रतियों का दहन करेंगे और इसके जरिये ग्रामीणों को तीनों कानूनों के किसान विरोधी होने के बारे में तथा इस देशव्यापी आंदोलन के मांगों के बारे में उन्हें बताएंगे।
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