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Earlier there were 200 people in this village, but now only one man is left, but still not alone : इस गांव में पहले थे 200 लोग, लेकिन अब बचा है सिर्फ एक आदमी, पर फिर भी नहीं है अकेला

 Earlier there were 200 people in this village, but now only one man is left, but still not alone abernews करीब 30 साल पहले रुस के सीमा पर ब...

 Earlier there were 200 people in this village, but now only one man is left, but still not alone


abernews करीब 30 साल पहले रुस के सीमा पर बसे डोबरुसा गांव में 200 लोग रहते थे, लेकिन आज इस गांव में सिर्फ एक व्यक्ति बचा है. सोवियत संघ के टूटने के बाद से इस गांव के सभी लोग आस-पास के शहर और किसी अन्य जगहों पर बसने के लिए चले गए. जबकि कई लोगों का निधन हो गया.

इसके बाद इस साल के शुरुआत में इस गांव में सिर्फ तीन लोग बचे थे. इसमें से एक दंपत्ति जेना और लिडा की फरवरी महीने में हत्या हो गई. इस गांव में इसके बाद सिर्फ एक व्यक्ति गरीसा मुनटेन बचा है. आज गरीसा मुनटेन के साथ गांव में कोई भी व्यक्ति नहीं रहता. इसके बाद भी वह अकेले नहीं है, बल्कि उनके साथ बहुत से जीव रहते हैं.

इस गांव में अकेले होने के बावजूद गरीसा पांच कुत्ते, 9 टर्की पक्षी, दो बिल्लियों, 42 मुर्गियों, 120 बत्तखें, 50 कबूतरों और कई हजार मधुमक्खियां के साथ अपना जीवन बिताते हैं. गरीसा ने बताया, "उनके गांव के करीब 50 घर थे, लेकिन अब अधिकतर लोग सोवियत संघ के टूटने के बाद नजदीकी शहर मालडोवा, रुस या फिर यूरोप में जाकर बस चुके हैं."

मुनटेन का कहना है कि, "अकेलापन आपको बहुत परेशान करता है." मुनटेन ने अपना अकेलापन दूर करने के लिए ये अनोखा तरीका अपनाया. मुनटेन बताते हैं, "खेतों में काम करने के दौरान वह पेड़ों से, पक्षियों से, जानवरों से ही बातें करते रहते हैं." गरीसा बताते हैं कि, "उनसे बात करने के लिए यहां कोई नहीं है."

65 वर्षीय गरीसा मुनटेन के मुताबिक, "पहले गांव के दूसरे छोर पर जेना और लिडा लोजिंस्की रहते थे और वह अक्सर उनसे फोन पर या मिलकर बातें करते रहते थे, लेकिन अब उनकी मौत के बाद वह यहां बिल्कुल अकेले हो गए हैं."

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