रायपुर। नवरात्रि से पहले सरकार ने प्रदेश के एक और हवाई अड्डे को देवी का नाम दिया है। अम्बिकापुर का दरिमा हवाई अड्डा अब मां महामाया हवाई अड...
रायपुर। नवरात्रि से पहले सरकार ने प्रदेश के एक और हवाई अड्डे को देवी का नाम दिया है। अम्बिकापुर का दरिमा हवाई अड्डा अब मां महामाया हवाई अड्डा कर दिया गया है। विमानन विभाग ने इसका आदेश जारी कर तत्काल प्रभाव से बदले नाम के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। अम्बिकापुर से करीब 12 किलोमीटर दूर दरिमा में बना यह हवाई अड्डा अभी सक्रिय नहीं हैं। यहां केवल चार्टर्ड विमान ही उतर सकते हैं। नागरिक उड्डयन के महानिदेशक की ओर से अभी इस हवाई अड्डे को 2- सी कैटगरी का ही लाइसेंस मिला हुआ है। ऐसे में सरकार इसके लिए 3-सीलाइसेंस हासिल करने की पूरी कोशिश में है। पिछले वर्ष हवाई अड्डे के रनवे को 2100 मीटर लंबा करने के लिए 47 करोड़ रुपये जारी हुये हैं। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत कई बार इसके लिए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय से पत्र व्यवहार कर चुके हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी दिल्ली प्रवास के दौरान केंद्रीय उड्डयन मंत्री के सामने अम्बिकापुर से हवाई सेवा शुरू कराने की मांग रखी थी। उनका कहना था इस हवाई अड्डे से सेवा शुरू हो गई तो सरगुजा संभाग के लोगों को देश के दूसरे शहरों तक पहुंचने में आसानी हो जाएगी। मां महामाया का नाम सरगुजा की धार्मिक-सांस्कृतिक पहचान का एक हिस्सा है। अम्बिकापुर की सबसे ऊंची पहाड़ी पर मां महामाया का विशाल मंदिर है। यह सरगुजा राज परिवार की कुल देवी हैं। सरगुजा संभाग में यह ईष्ट देवी के रूप में पूजी जाती हैं। यहां नवरात्रि में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। अम्बिकापुर के कई प्रतिनिधिमंडलों ने मुख्यमंत्री से माता के नाम पर हवाई अड्डे का नामकरण करने की मांग की थी।
चारों हवाई अड्डों को पौराणिक ऐतिहासिक नाम
इस नामकरण के साथ प्रदेश में मौजूद चार हवाई अड्डों का नामकरण पूरा हो गया। रायपुर हवाई अड्डे को स्वामी विवेकानंद का नाम दिया गया है। यह स्वामी विवेकानंद के रायपुर में बिताये दिनों की स्मृतियों के लिये है। जगदलपुर हवाई अड्डे को बस्तर की आराध्य देवी माता दंतेश्वरी का नाम दिया गया है। वहीं बिलासपुर के चकरभाठा हवाई अड्डे को बिलासा बाई केवट का नाम से जाना जा रहा है। बिलासा बाई, मध्य कालीन दौर की एक योद्धा थीं। बताया जाता है, रतनपुर के राजा कल्याण साय ने उन्हें बिलासपुर क्षेत्र की जागीर दी थी। उनके नाम पर ही शहर का नाम बिलासपुर पड़ा है।
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