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नक्सली कमाण्डर हिड़मा का एसपी को फोन :लापता एक जवान हमारे कब्जे में, हिम्मत हो तो छुड़ा लें

    जगदलपुर। सीआरपीएफ का लापता जवान राजेश्वर कुमार मनहस नक्सलियों के कब्जे में हो सकता है। शनिवार को हुई मुठभेड़ के बाद से वह लापता है। नक्स...

  


 जगदलपुर। सीआरपीएफ का लापता जवान राजेश्वर कुमार मनहस नक्सलियों के कब्जे में हो सकता है। शनिवार को हुई मुठभेड़ के बाद से वह लापता है। नक्सल कमाण्डर हिड़मा ने बीजापुर पुलिस अधीक्षक कमलोचन कश्यप को फोन करके यह जानकारी देते हुए बताया कि लापता जवान नक्सलियों के कब्जे में है। साथ ही उसने यह धमकी भी दी है कि हिम्म्त है तो अपह्रत जवान को छुड़ा लें। इस फोन से पुलिस के होश उड़ गए हैं। अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि फोन में कितनी सच्चाई है परंतु यह बात सच है कि शनिवार को हुई मुठभेड़ के बाद सीआरपीएफ का जवान राकेश्वर सिंह लापता है।  सीआरपीएफ कोबरा बटालियन का जवान राजेश्वर कुमार मनहस जम्मू-कश्मीर का रहना वाला है। मुठभेड़ के बाद उसके लापता होने के बाद से ही उसके अपहरण हो जाने की आशंका जताई जा रही थी। रविवार की शाम नक्सल कमाण्डर हिड़मा ने एसपी कमलोचन कश्यप को फोन करके  राजेश्वर कुमार मनहस को अपह्रत कर लेने की जानकारी दी। साथ ही यह चुनौती भी दी कि अगर हिम्मत है तो अपह्रत जवान को छुड़ा लें।  इधर बस्तर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अब जगदलपुर में पुलिस अधिकारियों की बैठक लेंगे। माना जा रहा है कि इसमें यह मुददा उठ सकता है कि नक्सलियों के चंगुल में रहे एक जवान को कैसे छुड़ाया जाए।
जवान सुरक्षित, जल्द छोड़ेंगे: नक्सली
नक्सलियों ने जवान के बारे में सूचना देते हुए कहा कि जवान राकेश्वर सिंह मनहास सुरक्षित है और उसे जल्द मुक्त कर दिया जाएगा। नक्सली जम्मू के रहने वाले सीआरपीएफ के जवान राकेश्वर सिंह को अपने साथ मुठभेड़ खत्म होने के बाद अपने साथ ले गए थे। जम्मू-कश्मीर के राकेश्वर सिंह मनहास की पहले शहीद होने की सूचना परिजनों तक पहुंच गई थी जिससे परिजनों और इलाके में शोक की लहर दौड़ गई थी, लेकिन अब उनके सुरक्षित होने की खबर मिलने की सूचना से परिजनों ने राहत की सांस ली है।
तीन ट्रैक्टरों में लाशें लादकर भागे नक्सली
घटना के बाद बस्तर के आईजी सुंदरराज पी. ने खुलासा किया है कि शनिवार को हुई मुठभेड़ में नक्सलियों की सबसे ताकतवर मानी जाने वाली पीएलजीए बटालियन नंबर एक शामिल थी। यह वही बटालियन है जिसकी वजह से ताड़मेटला हमले में 76 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। उन्होंने बताया कि झीरम घाटी का बड़ा हमला भी इसी टीम ने प्लान किया और घटना को अंजाम दिया। सुकमा में होने वाले कई बड़े हमले नक्सलियों की यही टीम करती है। इस बटालियन के नक्सलियों का जमावड़ा शनिवार को जोनागुडा, टेकलगुड़ुम और जीरागांव में था, इसलिए जवानों का दस्ता इन्हें खदेडऩे पहुंचा था। जगदलपुर एयरपोर्ट पर बस्तर आईजी ने कहा कि इस मुठभेड़ में 12 नक्सलियों के मारे जाने की जानकारी मिली है। 16 बड़े नक्सली लीडर घायल बताए जा रहे हैं। पुलिस के पास इंटेलिजेंस और ग्रामीणों से मिली जानकारी के आधार पर बस्तर आईजी ने बताया कि तीन ट्रैक्टरों में नक्सलियों ने अपने घायल साथियों और मारे गए नक्सलियों के शव लादे और भाग गए। ट्रैक्टर में सवार नक्सली जब्बामरका और गोमगुड़ा गांवों की तरफ  गए हैं। पुलिस को एक महिला नक्सली का शव इंसास रायफल के साथ मिला है, इसकी पहचान माड़वी वनोजा के तौर पर हुई है। बस्तर आईजी ने बताया कि सात एके 47 रायफल, एक एलएमजी (लाइट मशीन गन), दो  एसएलआर (सेल्फ  लोडिंग रायफल) और दो यूबीजीएल मिसिंग हैं।

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