रायपुर। शनिवार को डीआरजी, एसटीएफ और सीआरपीएफ के बहादुर जवान नक्सली कमांडर हिडमा के कोर एरिया में घुस गए। हिडमा की बटालियन नंबर 1 आधुनिक हथिय...
रायपुर। शनिवार को डीआरजी, एसटीएफ और सीआरपीएफ के बहादुर जवान नक्सली कमांडर हिडमा के कोर एरिया में घुस गए। हिडमा की बटालियन नंबर 1 आधुनिक हथियारों से लैस रहती है। हैवी फायरिंग में जवान फंस गए और 23 शहादतों का दुख अब प्रदेश झेल रहा है। हालांकि, पुलिस का दावा है कि 12 से अधिक नक्सली भी मारे गए हैं। घटना के बाद मिले इनुपट साझा करते हुए बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि हिडमा की मौजूदगी की जानकारी हमें मिली थी। मुठभेड़ के दौरान मारे गए नक्सलियों के शव को 3 ट्रैक्टरों में भरकर ले भागे हैं। हिडमा की सर्चिंग जारी है। हिडमा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का बड़ा नक्सल लीडर है। चार साल पहले सुकमा में चलाए गए आपरेशन प्रहार में उसे गोली लगी थी, लेकिन बताया जाता है कि वह बच गया। उस पर 25 लाख रुपए का इनाम है। हिडमा बस्तर का रहने वाला इकलौता ऐसा आदिवासी है जो नक्सलियों की सबसे खूंखार बटालियन को लीड करता है। बाकी सभी लीडर आंध्रप्रदेश मूल के हैं।
बस्तर से नक्सलवाद खत्म करने के लिए हिडमा का खात्मा जरूरी
शनिवार को हुई इस ताजा मुठभेड़ के बाद बीजापुर पुलिस की तरफ से एक बयान जारी किया गया। इस आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कई सालों से दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी जो कि नक्सलियों का एक बड़ा संगठन है इसके पीएलजीए बटालियन नंबर 1 को ताकतवर गोरिल्ला फोर्स के रूप में नक्सली इस्तेमाल करते हैं। इसका कमांडर हिडमा ही है।
नक्सलियों की ये बटालियन लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करते हुए गांव वालों की हत्या करना, उन्हें डराने का काम करती है। अगर बस्तर में नक्सल समस्या का समाधान करना हो तो बटालियन नंबर वन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करनी जरूरी है।
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