रायपुर।छत्तीसगढ़ की बलिदानी मिट्टी लेकर किसानों का एक जत्था आज दिल्ली रवाना हो गया। यह मिट्टी स्वतंत्रता संग्राम से लेकर प्रदेश में हुए किसा...
रायपुर।छत्तीसगढ़ की बलिदानी मिट्टी लेकर किसानों का एक जत्था आज दिल्ली रवाना हो गया। यह मिट्टी स्वतंत्रता संग्राम से लेकर प्रदेश में हुए किसान-मजदूर आंदोलनों से जुड़े स्मारकों से जुटाई गई है। यह मिट्टी मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पहुंचेगी। आंदोलनकारी किसान दिल्ली के सिंघु, गाजीपुर, टीकरी, शाहजहांपुर और पलवल में केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में दिवंगत किसानों का स्मारक बनाना चाहते हैं। प्रदेश के चार महत्वपूर्ण स्थानों से मिट्टी रविवार को ही राजिम पहुंच गई थी। आज सुबह राजिम स्थित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सुंदर लाल शर्मा चौक में किसानों ने एक श्रद्धांजलि सभा की। इस दौरान अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष मदनलाल साहू, रेखूराम, कोमन ध्रुव, नंदू ध्रुव, मोहनलाल, ललित कुमार आदि ने मिट्टी सत्याग्रह में शामिल किसान नेताओं को लाल गमछा और लाल गुलाब देकर सम्मानित किया। वहां से किसानों का जत्था रायपुर के लिए रवाना हुआ। अभनपुर के तिगड्डा चौक पर हेमन्त टंडन, दलबीर सिंह, पुनुराम, देवसिंह ने उनका स्वागत किया।रायपुर रेलवे स्टेशन पहुंचने पर आदिवासी भारत महासभा के संयोजक सौरा यादव, छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संचालक मंडल सदस्यों जागेश्वर जुगनू चन्द्राकर, गोविंद चन्द्राकर, वेगेन्द्र सोनबेर, राजेन्द्र पटेल, मनोज साहू, संजय चन्द्राकर, नारद साहू, आदि ने मिट्टी का कलश सौंपकर दिल्ली जाने वाले जत्थे को विदा किया। इस दौरान किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध में नारेबाजी भी की। ट्रेन के बिलासपुर पहुंचने पर श्याम मूरत कौशिक, सलीम काजी, अजय राय, अम्बिका कौशिक, राजदीप छाबड़ा, यूसुफ हुसैन, रज्जाक अली, राजेन्द्र कौशिक, डॉ. अशोक शिरोड़े ने लाल खदान की मिट्टी का कलश सौंपा। दिल्ली जाने वाले जत्थे में तेजराम विद्रोही, मूलचंद साहू, रतन गोंडाने, रेखा गोंडाने, सरस्वती गोंडाने शामिल हैं।यहां से जुटाई गई माटी
शहीद वीर नारायण सिंह के जन्मभूमि सोनाखान, 1910 भूमकाल आंदोलन की भूमि नेतानार बस्तर, 1920 नहर सत्याग्रह की भूमि कंडेल, 1930 के जंगल सत्याग्रह की भूमि तमोरा, 1977 में मजदूर आंदोलन और शंकर गुहा नियोगी की भूमि दल्ली राजहरा, 1990 के किसान आंदोलन में दिवंगत हुए रमेश परिडा के स्मारक अभनपुर और 1990 में बिलासपुर के लाल खदान क्षेत्र में दिवंगत हुए दरशराम साहू और डॉ. पूर्णेन्दु घोष के स्मारक से यह मिट्टी जुटाई गई है।
किसान नेताओं ने कहा, जारी रहेगा आंदोलन
सत्याग्रही जत्थे का नेतृत्व कर रहे तेजराम विद्रोही ने कहा, केंद्र सरकार के कथित कृषि सुधारों वाले तीन कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन को चार महीने हो गए। अब तक 300 से अधिक किसानों की जान जा चुकी है। सरकार के कानों पर अभी जूं नहीं रेंग रही। लेकिन हम कानूनों को वापस कराए बिना वापस नहीं लौटने वाले। आंदोलन जारी रहेगा।
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